दिन में रची गई श्रीकृष्ण जन्म कथा, रात में नारद मोह लीला बक्सर खबर। रामलीला समिति के तत्वावधान में किला मैदान में चल रहे 22 दिवसीय विजयादशमी महोत्सव का रंगारंग आयोजन जारी है। दूसरे दिन सोमवार को दर्शकों ने दिन में श्रीकृष्ण जन्म लीला और रात में नारद मोह लीला का भव्य मंचन देखा। वृंदावन से आए राधा माधव रासलीला एवं रामलीला संस्थान के कलाकारों ने स्वामी सुरेश उपाध्याय “व्यास जी” के निर्देशन में कृष्ण जन्म प्रसंग जीवंत कर दिया। मंचन में दिखाया गया कि किस तरह कंस को आकाशवाणी से चेतावनी मिली कि देवकी का आठवां पुत्र उसका काल बनेगा। कंस ने देवकी-वासुदेव को कारागार में डाल दिया और एक-एक कर उनके छह संतानों की हत्या कर दी। सातवां गर्भ में ही नष्ट हुआ और आठवें पुत्र के रूप में भगवान कृष्ण का जन्म हुआ। वासुदेव रातों-रात शिशु कृष्ण को यमुना पार गोकुल में नंद-यशोदा के यहां पहुंचा देते हैं। यह दृश्य देख दर्शक भाव-विभोर हो उठे और पूरा परिसर “जय श्रीकृष्ण” के जयकारों से गूंज उठा।
रात्रि मंचन में “नारद मोह लीला” का प्रदर्शन हुआ। कथा में दिखाया गया कि नारद जी हिमालय में तपस्या कर रहे थे, जिससे देवराज इंद्र का सिंहासन डोल उठा। इंद्र ने कामदेव को भेजा, लेकिन नारद का ध्यान नहीं टूटा। विजय पाकर नारद जी में अभिमान आ गया और वे भगवान विष्णु तक पहुंच गए। भगवान ने उनके अभिमान को तोड़ने के लिए माया नगरी रची, जहां विश्व मोहिनी नामक रूपवती स्त्री को देखकर नारद मोहित हो गए। विवाह हेतु सुंदर रूप मांगने पर विष्णु ने उन्हें बंदर का रूप दे दिया। यह देख सभी देवता हंस पड़े। अपमानित होकर नारद जी ने क्रोधवश विष्णु को पृथ्वी पर जन्म लेने का श्राप दे डाला। इस प्रसंग को देख दर्शक रोमांचित हो उठे और बार-बार तालियां बजती रहीं। कार्यक्रम के दौरान समिति के सचिव बैकुंठ नाथ शर्मा समेत अन्य पदाधिकारी एवं कार्यकर्ता सक्रिय रूप से मौजूद रहे।
































































































