कृष्ण जन्मोत्सव पर झूमे श्रद्धालु, उमेश भाई ने सुनाई भावपूर्ण श्रीमद्भागवत कथा बक्सर खबर। सदर प्रखंड के कमरपुर स्थित हनुमत धाम मंदिर परिसर इन दिनों भक्ति के रस में सराबोर है। पूज्य संत ब्रह्मलीन श्री रामचरित दास जी की पावन स्मृति में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के छठवें दिन शनिवार को श्रद्धा और भक्ति का अद्भुत संगम देखने को मिला। कथा व्यास उमेश भाई ओझा ने अपनी ओजस्वी वाणी से भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव और उनकी बाल लीलाओं का ऐसा जीवंत वर्णन किया कि पांडाल में मौजूद हजारों श्रद्धालु भाव-विभोर हो उठे। कथा के दौरान उमेश भाई ओझा ने भारत भूमि की महिमा का बखान करते हुए कहा कि यह वीरों और संतों की भूमि है। उन्होंने कहा, स्वर्ग के देवता भी मानव शरीर पाकर भारतवर्ष में जन्म लेने की कामना करते हैं, क्योंकि यहीं प्रभु की अमृतमयी कथा का प्रवाह निरंतर होता है। गंगा मैया संसार के पापों को हरती हैं, लेकिन संत, ऋषि और वैरागी अपने तपोबल से गंगा के पापों को भी धो देते हैं। भागवत श्रवण का वास्तविक अधिकारी वही है जो विरक्त, वैष्णव, निस्पृह और निर्लोभी हो।
कथा व्यास ने त्रेता और द्वापर युग के अवतारों के अंतर को सरल भाषा में समझाया। उन्होंने बताया कि किस प्रकार प्रभु ने सूर्यवंश में श्रीराम बनकर मर्यादा का पाठ पढ़ाया और यदुवंश में श्रीकृष्ण बनकर प्रेम व आनंद की वर्षा की। मथुरा के कारागार में जन्म और गोकुल में नंद बाबा व यशोदा मैया के घर उनके पालन-पोषण के प्रसंग ने श्रोताओं की आंखें नम कर दीं। प्रभु माखन नहीं, बल्कि अपने भक्तों का हृदय चुराने आते हैं। जब वे प्रेम की डोरी में बंधते हैं, तो उनका ईश्वरत्व भी छिप जाता है और केवल वात्सल्य शेष रह जाता है। जैसे ही कथा में भगवान श्रीकृष्ण के जन्म का प्रसंग आया, पूरा परिसर जयकारों से गूंज उठा। नंदलाल के स्वागत में गाए गए बधाई गीतों ने उत्सव का माहौल बना दिया। प्रगटे हैं कुंवर कन्हाई, सखि बजत बधाई… और नन्द द्वारे बधैया बाजे… इन भजनों पर श्रद्धालु मंत्रमुग्ध होकर झूमने लगे। इसके बाद पूतना उद्धार, माखन चोरी और उखल बंधन जैसी बाल लीलाओं का भावपूर्ण वर्णन किया गया।





























































































