गुरुकुल परंपरा आज भी आधुनिक समाज के लिए प्रासंगिक : कुलपति

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एमवी कॉलेज में राष्ट्रीय संगोष्ठी सम्पन्न, ऐतिहासिक पृष्ठभूमि और नैतिक शिक्षा पर जोर                          बक्सर खबर। महर्षि विश्वामित्र कॉलेज में मंगलवार को महर्षि विश्वामित्र व्याख्यानमाला : ज्ञान सत्र-01 के अंतर्गत एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का सफल आयोजन किया गया। विषय था “बदलते वैश्विक एवं सामाजिक परिदृश्य में प्राचीन भारतीय गुरुकुल परंपरा का महत्व एवं प्रासंगिकता”। कार्यक्रम का शुभारंभ मां सरस्वती और महर्षि विश्वामित्र की प्रतिमा पर दीप प्रज्वलन व पुष्प अर्पण के साथ हुआ। मुख्य अतिथि वीकेएसयू के कुलपति प्रो. शैलेंद्र कुमार चतुर्वेदी ने कहा कि गुरुकुल परंपरा केवल शिक्षा ही नहीं, बल्कि जीवन मूल्यों, अनुशासन और आत्मनिर्भरता का पाठ भी पढ़ाती थी। आज की शिक्षा व्यवस्था को मूल्यपरक बनाने के लिए इस परंपरा से प्रेरणा लेना जरूरी है।

विशिष्ट अतिथि जनच विश्वविद्यालय, बलिया के कुलपति प्रो. संजीव कुमार गुप्ता ने कहा कि गुरुकुल समाज को आत्मनिर्भर और सामूहिकता की दिशा देता था। आधुनिक शिक्षा में जब व्यावसायिकता हावी हो रही है, तब इन आदर्शों का पुनर्जीवन आवश्यक है। मुख्य वक्ता जेपी विश्वविद्यालय, छपरा के पूर्व कुलपति प्रो. हरिकेश सिंह ने गुरुकुल व्यवस्था को जीवन जीने की कला बताया। उन्होंने आधुनिक समाज में नैतिक मूल्यों की कमी पर चिंता जताई और गुरुकुल परंपरा को इसका समाधान बताया। संगोष्ठी की अध्यक्षता प्रधानाचार्य प्रो. कृष्णा कान्त सिंह ने की। उन्होंने कहा कि महाविद्यालय विद्यार्थियों को न केवल शिक्षा, बल्कि भारतीय संस्कृति और परंपराओं से जोड़ने का प्रयास कर रहा है।

कार्यक्रम में विभिन्न शोधपत्रों के जरिए वैश्वीकरण, तकनीकी शिक्षा और सामाजिक परिवर्तन के बीच गुरुकुल परंपरा की प्रासंगिकता पर चर्चा हुई। मंच संचालन डॉ. वीरेन्द्र कुमार ने किया और धन्यवाद ज्ञापन डॉ. नवीन शंकर पाठक ने प्रस्तुत किया।

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