—श्रीमद् भागवत कथा के पांचवें दिन प्रहलाद चरित्र, वामन अवतार और श्रीराम जन्म बधाई से भक्तिमय हुआ माहौल बक्सर खबर। सदर प्रखंड के कमरपुर स्थित हनुमत धाम मंदिर परिसर में पूज्य संत ब्रह्मलीन गोलोकवासी रामचरित दास जी की प्रथम स्मृति में आयोजित सत्रह दिवसीय आध्यात्मिक कार्यक्रम के तहत शुक्रवार को श्रीमद् भागवत कथा का पांचवां दिन पूरी श्रद्धा और भक्ति भाव के साथ संपन्न हुआ। आयोजन के अंतर्गत प्रतिदिन अखंड हरिनाम संकीर्तन, श्रीरामचरितमानस का अखंड पाठ एवं संध्याकालीन भजन संध्या आयोजित की जा रही है। पांचवें दिन की कथा में प्रहलाद चरित्र, वामन अवतार, गज-ग्राह प्रसंग तथा श्रीराम जन्म की बधाई का भक्तिपूर्ण वर्णन किया गया। कथा प्रवचन के दौरान उमेश भाई ओझा ने कहा कि चौरासी लाख योनियों में भटकते जीव को जब सत्संग का अवसर मिलता है, तो समझ लेना चाहिए कि उस पर भगवान की विशेष कृपा हो गई है। उन्होंने कहा कि राक्षस और असुर भी भगवान को मानते हैं, उनसे वैर रखते हैं, लेकिन नास्तिक भगवान को मानता ही नहीं है। इसलिए राक्षस का उद्धार संभव है, नास्तिक का नहीं।
उन्होंने भरत चरित्र के माध्यम से सांसारिक मोह और जीव की यात्रा को सरल शब्दों में समझाया। कथा में जड़भरत की कथा का उल्लेख करते हुए बताया गया कि अज्ञानवश किया गया पाप क्षम्य हो सकता है, लेकिन जानबूझकर किए गए पाप का फल भोगना ही पड़ता है। कोल भीलों के प्रेम का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि सच्ची भक्ति से भगवान भी वश में हो जाते हैं। उमेश भाई ओझा ने कहा कि प्रभु श्रीराम का अवतार मानव जाति को मर्यादा, आदर्श और कर्तव्य की शिक्षा देने के लिए हुआ। संध्याकालीन भजन संध्या में उमेश जायसवाल, अशोक मिश्रा, डॉ. रवि कुमार एवं कवि नंद बिहारी ने सुमधुर भजनों की प्रस्तुति दी, जिससे पूरा वातावरण भक्तिमय हो गया। कार्यक्रम में रविलाल, साध्वी विनीता, आचार्य नरहरि दास जी भक्तमाली, त्यागी जी, राम बिहारी, कुंदन जी, बच्चा जी, महादेव, अनिमेष, पिंटू, सतीश, रमन सहित बड़ी संख्या में ग्रामीण श्रद्धालु उपस्थित रहे।





























































































