गंगा दशहरा पर उमड़ा श्रद्धालुओं का सैलाब, रामरेखा घाट पर आस्था की डुबकी

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शहर में जगह-जगह श्रद्धालु, ट्रेनों से उतरते ही रामरेखा घाट की ओर उमड़ी भीड़                                      बक्सर खबर। गंगा दशहरा के पावन अवसर पर गुरुवार को शहर के ऐतिहासिक रामरेखा घाट पर श्रद्धा का सैलाब उमड़ पड़ा। सुबह होते ही लाखों की संख्या में श्रद्धालु गंगा स्नान व पूजन-अर्चन के लिए पहुंच गए। घाट पर सबसे ज्यादा उपस्थिति महिलाओं की रही। ट्रेनों से भर-भर कर श्रद्धालु बक्सर स्टेशन पहुंच रहे थे, जहां से वे पैदल, टोटो या ऑटो रिक्शा से घाट की ओर रवाना होते देखे गए।

गंगा दशहरा और मुंडन संस्कारों को देखते हुए जिला प्रशासन ने पहले से ही भारी वाहनों के शहर में प्रवेश पर रोक लगा दी थी। सुरक्षा व्यवस्था को पुख्ता रखने के लिए स्टेशन से लेकर रामरेखा घाट तक पुलिस और ट्रैफिक बल तैनात किए गए हैं। ज्योति प्रकाश चौक, वीर कुंवर सिंह चौक से होते हुए घाट तक श्रद्धालुओं की भारी भीड़ देखने को मिल रही है, हालांकि शहर के अन्य मार्गों पर यातायात सामान्य है।

रामरेखा घाट पहुंच पथ पर श्रद्धालुओं की भीड़

पंडित मोहन कुमार दुबे उर्फ मुन्ना बाबा ने बताया कि हिंदू पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की दशमी को मनाया जाने वाला गंगा दशहरा, वह दिन है जब मां गंगा का धरती पर अवतरण हुआ था। मान्यता है कि राजा भगीरथ की तपस्या से प्रसन्न होकर ब्रह्मा ने मां गंगा को पृथ्वी पर अवतरित किया और भगवान शिव ने अपनी जटाओं में उन्हें धारण कर धरती पर उतरने का मार्ग दिया।

गंगा स्नान के बाद दान-पुण्य करते श्रद्धालु

गंगा दशहरा के दिन गंगा स्नान, पूजा, आरती के साथ-साथ दान-पुण्य का विशेष महत्व है। इस दिन सत्तू, पंखा, ऋतुफल, सुपारी, गुड़, जल युक्त घड़ा आदि का दान करने से आरोग्यता और वंशवृद्धि का आशीर्वाद मिलता है। परंपरा के अनुसार गंगा स्नान के बाद कुछ मिठा ग्रहण करें, उड़द की खिचड़ी का सेवन या दान किया जाता है।

स्टेशन रोड पर पैदल चलते श्रद्धालु

पंडित त्रिलोकी नाथ तिवारी ने बताया कि गंगा दशहरा के दिन मांस-मदिरा और तामसिक भोजन का सेवन वर्जित है। ऐसा करने से अशुभ फल मिल सकता है और मां गंगा नाराज हो सकती हैं। जो श्रद्धालु घाट तक नहीं पहुंच पाते हैं, वे घर पर भी स्नान कर सकते हैं, स्नान के जल में गंगाजल या तुलसीपत्र डालकर गंगा का ध्यान करना पुण्यकारी माना गया है।

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