पुलिस का दावा: दबाव में आकर गिरोह ने फेंकी लकड़ी, अब भी एक पेड़ की लकड़ी लापता बक्सर खबर। शहर के प्रसिद्ध नाथ बाबा मंदिर से 21 दिसंबर की रात करोड़ों रुपये मूल्य के दो चंदन के पेड़ काटकर चोरी करने वाले तस्करों के खिलाफ पुलिस को आंशिक सफलता हाथ लगी है। रविवार की सुबह चरित्रवन के यमुना घाट पर गंगा नदी के किनारे चंदन की लकड़ी के दो बड़े टुकड़े स्थानीय लोगों ने देखे, जिसके बाद तुरंत पुलिस को सूचना दी गई। सूचना मिलते ही नगर थाना की पुलिस, सदर एसडीपीओ गौरव पांडेय और एसडीएम अविनाश कुमार मौके पर पहुंचे और दोनों टुकड़ों को जब्त कर थाने ले जाया गया। इसके बाद पूरे मामले की जांच तेज कर दी गई है। मौके पर मौजूद सदर एसडीपीओ गौरव पांडेय ने बताया कि चोरी की घटना के बाद से ही सभी गंगा घाटों पर लगातार सर्च अभियान चलाया जा रहा था। वैज्ञानिक अनुसंधान के तरीकों से लकड़ी चोर गिरोह पर दबाव बनाया जा रहा था। आशंका है कि इसी दबाव के चलते तस्करों ने चोरी किए गए चंदन के पेड़ के दो टुकड़े गंगा किनारे फेंक दिए। उन्होंने भरोसा दिलाया कि जल्द ही पूरे मामले का उद्भेदन कर गिरोह के सभी सदस्यों को गिरफ्तार किया जाएगा।
नाथ बाबा मंदिर कमेटी के अकाउंटेंट शंभू नाथ पाठक ने बताया कि बरामद लकड़ियां एक ही चंदन के पेड़ की हैं। मंदिर परिसर के गेट के पास से चोरी किए गए दूसरे चंदन के पेड़ की लकड़ियां अब तक बरामद नहीं हो सकी हैं, जिससे मंदिर प्रशासन और श्रद्धालुओं की चिंता बनी हुई है। गौरतलब है कि चोरी के अगले ही दिन 22 दिसंबर को डॉग स्क्वायड की टीम और बक्सर पुलिस ने नाथ बाबा घाट से लेकर श्मशान घाट तक सघन तलाशी अभियान चलाया था। इतना ही नहीं, घंटों तक गंगा नदी में भी सर्च ऑपरेशन किया गया, लेकिन तब कोई ठोस सुराग नहीं मिल पाया था। पिछले एक हफ्ते से पुलिस लगातार हाथ-पैर मार रही थी, ऐसे में चंदन के टुकड़ों की बरामदगी से पुलिस को भी कुछ राहत मिली है।

बताया जाता है कि पूज्य संत ब्रह्मलीन नाथ बाबा ने करीब 60 से 70 वर्ष पहले मंदिर परिसर में ये चंदन के पेड़ लगाए थे। दोनों पेड़ों की चोरी से नाथ संप्रदाय के लोगों में जबरदस्त आक्रोश फैल गया था। श्रद्धालुओं का कहना था कि यह केवल चोरी नहीं, बल्कि संत की धरोहर और पहचान पर हमला है। घटना के बाद मंदिर के पुजारी, संत और श्रद्धालुओं ने दोषियों की जल्द गिरफ्तारी और कठोर से कठोर सजा की मांग की थी। चंदन चोरी के मामले में कुछ लकड़ी तो बरामद हो गई है, लेकिन पूरा सच अभी सामने आना बाकी है। अब देखना यह है कि पुलिस इस संगठित तस्करी के पूरे खेल का पर्दाफाश कब तक करती है और संतों की इस अमूल्य धरोहर को नुकसान पहुंचाने वालों को कानून के कठघरे तक कब पहुंचाया जाता है।





























































































