मन ही बंधन और मन ही मोक्ष का कारण है : उमेश भाई

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हनुमत धाम में श्रीमद्भागवत कथा के तीसरे दिन भक्ति, सेवा और नाम-स्मरण का संदेश                               बक्सर खबर। सदर प्रखंड के कमरपुर स्थित हनुमत धाम मंदिर परिसर में चल रहे सन्त सद्गुरुदेव स्मृति महोत्सव के दसवें दिन भक्ति और श्रद्धा का अनुपम दृश्य देखने को मिला। बुधवार को सुबह श्रीरामचरितमानस का सामूहिक पाठ, दोपहर में श्रीमद्भागवत कथा और रात्रि में भजन संध्या का आयोजन हुआ। यह महोत्सव श्री नारायण दास भक्तमाली मामा जी महाराज के प्रथम कृपापात्र शिष्य रामचरित्र दास जी महाराज के साकेत लीला प्रवेश के उपरांत आयोजित किया जा रहा है, जिसका समापन 31 दिसंबर को भंडारे के साथ होगा। श्रीमद्भागवत कथा के तृतीय दिवस में कथा व्यास उमेश भाई ओझा ने कर्दम ऋषि की तपस्या, विवाह और पुत्र की लालसा से जुड़े प्रसंग को सरल और भावपूर्ण ढंग से प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि जिस कुल में भक्त पुत्र का जन्म होता है, उसकी 21 पीढ़ियों का उद्धार हो जाता है। उन्होंने प्रसिद्ध पंक्तियों के माध्यम से बताया कि माता को भक्त, दानी या वीर पुत्र की ही कामना करनी चाहिए।

कथा के दौरान उमेश भाई ने सेवा और भक्ति के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि सेवा ही भक्ति का मूल है। मनुष्य शरीर से संसार के कार्य करे, लेकिन मन को भगवान में लगाए। उन्होंने कहा कि मन ही बंधन का कारण है और मन ही मोक्ष का द्वार खोलता है। भगवान भाव के भूखे हैं, क्रिया के नहीं। रात्रि भजन संध्या में भजन गायक धर्मेंद्र व्यास ने सुमधुर भजनों से श्रद्धालुओं को भाव-विभोर कर दिया। पूरे क्षेत्र में भक्ति का माहौल बना हुआ है और दूर-दूर से संत एवं श्रद्धालु बड़ी संख्या में पहुंच रहे हैं।

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