हनुमत धाम में श्रीमद्भागवत कथा सुनकर भावविभोर हुए श्रद्धालु बक्सर खबर। सदर प्रखंड के कमरपुर स्थित हनुमत धाम में पूज्य श्रीराम चरित्र दास जी के नित्य साकेत लीला में प्रवेश के उपरांत मंदिर परिसर में मंगलवार को संत सद्गुरूदेव स्मृति महोत्सव के अवसर पर श्रीमद्भागवत कथा का भव्य आयोजन किया गया। कथा व्यास उमेश भाई ओझा ने श्रीमद्भागवत की महिमा का विस्तार से वर्णन करते हुए कहा कि कथा का श्रवण करने से जन्म-जन्मांतर के पापों का नाश हो जाता है। कथा के दौरान उमेश भाई ओझा ने कहा कि संसार में लोग संतान न होने पर दुखी हो जाते हैं, लेकिन उन्हें निराश होने के बजाय भगवान श्रीराम या श्रीकृष्ण से अपना संबंध जोड़ लेना चाहिए। भक्ति, सदाचार और मानव कल्याण का संदेश देते हुए उन्होंने कहा कि श्रीमद्भागवत कथा जीवन को सही दिशा देती है और सत्य, प्रेम व सेवा के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देती है। उन्होंने कहा कि भागवत कथा वह अमृत है, जिसके पान से भय, भूख, रोग और संताप स्वतः समाप्त हो जाते हैं।
कथा व्यास ने धुंधुकारी की कथा का उल्लेख करते हुए बताया कि वह अत्यंत दुष्ट और कुकर्मों में लिप्त था। उसके अत्याचारों से दुखी होकर उसके पिता आत्मदेव वन चले गए थे। धुंधुकारी वेश्याओं के साथ रहकर भोग-विलास में डूब गया और अंततः उन्हीं के हाथों मारा गया। अपने पाप कर्मों के कारण वह प्रेत योनि में चला गया और भूख-प्यास से व्याकुल रहने लगा। व्याकुल धुंधुकारी अपने भाई गोकर्ण के पास पहुंचा और संकेतों के माध्यम से अपनी पीड़ा बताई। गोकर्ण ने उसकी मुक्ति के लिए गया श्राद्ध किया था, लेकिन प्रेत रूप में उसे देखकर पुनः विचार किया। अंततः सूर्य नारायण के निर्देश पर गोकर्ण ने श्रीमद्भागवत का पारायण किया। कथा के दौरान धुंधुकारी वायु रूप में सात गांठों वाले बांस के भीतर बैठकर कथा का श्रवण करता रहा। सात दिनों में एक-एक कर बांस की सभी गांठें फूट गईं और धुंधुकारी प्रेत योनि से मुक्त होकर वैकुंठ धाम को प्राप्त हुआ। इससे पूर्व सुबह रामचरितमानस की सामूहिक अखंड पाठ का सस्वर गायन किया गया। कथा के दौरान बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे और भक्तिमय वातावरण में कथा का रसपान कर भावविभोर नजर आए।






























































































