पंचकोसी परिक्रमा: अंजनी सरोवर तट पर उमड़ा भक्तों का सैलाब

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हनुमान जी के ननिहाल में सत्तू-मूली के प्रसाद का हुआ वितरण, मेले में जमकर हुई खरीदारी                                         बक्सर खबर। पंचकोसी परिक्रमा की आस्था यात्रा बुधवार को अपने चौथे पड़ाव नुआंव गांव स्थित अंजनी सरोवर पहुंची, तो पूरा क्षेत्र भक्ति और उत्सव में डूब गया। सुबह से ही श्रद्धालुओं की भारी भीड़ सरोवर तट पर उमड़ी, जहां माता अंजनी और हनुमान जी के मंदिर में पूजा-अर्चना कर दर्शन किए गए। बसांव पीठाधीश्वर अच्युत प्रपन्नाचार्य जी महाराज के नेतृत्व में श्रद्धालुओं ने अंजनी सरोवर की परिक्रमा की। इस दौरान साधु-संतों के साथ हजारों महिलाएं भी शामिल हुईं। हर ओर भजन-कीर्तन की गूंज से वातावरण पवित्र हो उठा।

अंजनी सरोवर तट पर मेला सजा तो माहौल रंगीन हो उठा। महिलाओं के लिए श्रृंगार प्रसाधन की दुकानें, बच्चों के लिए खिलौने, और खाने-पीने के शौकीनों के लिए चाट, पकौड़ी और जलेबी की दुकानें सजीं। श्रद्धालुओं ने जमकर खरीदारी की और प्रसाद के रूप में सत्तू और मूली ग्रहण किया। प्रसाद वितरण के दौरान लंबी कतारें देखी गईं। मेला क्षेत्र में बने भव्य मंच से संतों ने पंचकोसी परिक्रमा के धार्मिक और पौराणिक महत्व पर प्रकाश डाला। बताया गया कि त्रेतायुग में भगवान राम ने राक्षसी ताड़का का वध करने के बाद इन्हीं पांच आश्रमों में विश्राम किया था। चौथे दिन वे महर्षि उद्दालक के आश्रम, यानि आज के अंजनी सरोवर पहुंचे थे, जहां उनका स्वागत सत्तू और मूली से किया गया था। इसी परंपरा को आज भी श्रद्धालु निभा रहे हैं।

फोटो – पंचकोसी परिक्रमा के चौथे विश्राम स्थल नुआंव में भजन-कीर्तन करती महिलाएं

अच्युत प्रपन्नाचार्य जी महाराज ने बताया कि अंजनी सरोवर वही स्थान है जहां माता अंजनी अपने बालक हनुमान के साथ निवास करती थीं। पास के अहिरौली गांव में हनुमान जी की नानी अहिल्या का उद्धार हुआ था, इसलिए यह स्थान हनुमान जी का ननिहाल माना जाता है। कहा जाता है कि माता अंजनी इसी सरोवर में स्नान करती थीं, इसलिए इसे अंजनी सरोवर नाम दिया गया। पंचकोसी परिक्रमा का अंतिम पड़ाव गुरुवार को चरित्रवन और किला मैदान में होगा। श्रद्धालु रामरेखा घाट पर गंगा स्नान करेंगे और रामेश्वर नाथ मंदिर में पूजा-अर्चना कर लिट्टी-चोखा का भोग लगाएंगे।

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