पंचकोसी परिक्रमा का तीसरा पड़ाव भभुअर में उमड़ा आस्था का सैलाब

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त्रेता युग की परंपरा आज भी जीवित, कल नुआंव में अंजनी सरोवर की परिक्रमा                                     बक्सर खबर। ऐतिहासिक पंचकोसी परिक्रमा के तीसरे पड़ाव पर मंगलवार को भभुअर स्थित लक्ष्मण सरोवर भक्तिमय वातावरण में झूम उठा। सुबह से ही हजारों श्रद्धालु प्राचीन शिव मंदिर अर्थात भार्गव ऋषि के आश्रम स्थल पर पहुंचकर पूजा-अर्चना में लीन रहे। पंचकोसी परिक्रमा समिति के अध्यक्ष बसांव पीठाधीश्वर अच्युत प्रपन्नाचार्य के नेतृत्व में साधु-संतों और श्रद्धालुओं ने सरोवर की परिक्रमा की। इसके बाद सभी ने दही-चूड़ा प्रसाद का सामूहिक भोग लगाया। शाम होते ही संत सम्मेलन का आयोजन हुआ, जहां संतों ने पंचकोसी परिक्रमा के आध्यात्मिक और ऐतिहासिक महत्व पर प्रकाश डाला।

बसांव पीठाधीश्वर अच्युत प्रपन्नाचार्य ने कहा कि त्रेता युग से चली आ रही इस पवित्र परंपरा को आज भी श्रद्धालु पूरे भाव से निभा रहे हैं। उन्होंने कहा कि जब भगवान श्रीराम बक्सर आए थे और ताड़का-सुबाहु का वध कर महर्षि विश्वामित्र के यज्ञ की रक्षा की थी, तब यज्ञ पूर्ण होने के बाद महर्षि ने उन्हें पांच कोस क्षेत्र में स्थित विभिन्न ऋषियों के आश्रमों का दर्शन कराया था अहिरौली (गौतम आश्रम), नदांव (नारद आश्रम), भभुअर (भार्गव आश्रम), नुआंव (उद्दालक आश्रम) और चरित्रवन। इसी परंपरा को आज पंचकोसी परिक्रमा के रूप में जीवित रखा गया है।

फोटो – भभुअर स्थित शिव मंदिर में पूजा-अर्चना करते श्रद्धालु

अच्युत प्रपन्नाचार्य ने जिला प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए कहा कि श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए जो दावे किए गए थे, वे धरातल पर असफल साबित हुए हैं। परिक्रमा मार्ग पर जगह-जगह नाले का पानी बह रहा है, जबकि मूलभूत सुविधाएं नदारद हैं। उन्होंने कहा जिस सरोवर का निर्माण स्वयं लक्ष्मण जी ने जलसंकट दूर करने के लिए किया था, आज वही क्षेत्र फिर जलसंकट से जूझ रहा है। पंचकोसी परिक्रमा का अगला चरण बुधवार को नुआंव में होगा, जहां श्रद्धालु अंजनी सरोवर की परिक्रमा करेंगे और सत्तू-मूली प्रसाद का सामूहिक भोग लगाएंगे।

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