राम-केवट संवाद और सुदामा चरित्र ने किया श्रद्धालुओं को भाव-विभोर

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विजयादशमी महोत्सव के ग्यारहवें दिन मंचित हुई मनमोहक लीलाएं                                                    बक्सर खबर। रामलीला समिति की ओर से आयोजित 22 दिवसीय विजयादशमी महोत्सव में बुधवार को ग्यारहवें दिन श्रद्धा और भक्ति से सराबोर दो लीलाओं का मंचन हुआ। देर रात तक चले कार्यक्रम में राम वन गमन व केवट प्रसंग की झलक ने श्रद्धालुओं की आंखें नम कर दीं, वहीं दिन में मंचित सुदामा चरित्र भाग-1 ने कृष्ण-सुदामा की सच्ची मित्रता का संदेश दिया। वृंदावन से आए राधा माधव रासलीला मंडल के कलाकारों ने स्वामी सुरेश उपाध्याय “व्यास जी” के निर्देशन में मंचन किया।

लीला की शुरुआत नगर भ्रमण से हुई जब शाम 5 बजे राम, सीता और लक्ष्मण का रथ रामलीला मैदान से रवाना होकर स्टेशन रोड स्थित कवलदह पोखरा पहुंचा। वहां केवट संवाद का कुछ अंश दिखाया गया और फिर मंच पर पूरा प्रसंग प्रस्तुत हुआ। मंचन में दिखाया गया कि कैसे मंत्री सुमंत, प्रभु राम को वन जाने से रोकने का प्रयास करते हैं पर राम उन्हें धीरज बंधाते हैं। सीता जी लौटने से इनकार करती हैं और अंततः राम, लक्ष्मण और सीता वन गमन करते हैं। सबसे भावुक क्षण तब आया जब केवट ने प्रभु के चरण धोकर ही नाव को आगे बढ़ाने की शर्त रखी। दर्शकों ने इस संवाद पर जोरदार तालियों से भावनाएं व्यक्त कीं।

फोटो – कवलदह पोखरा के समीप रामलीला का प्रसंग देखते श्रद्धालु

दिन में मंचित “सुदामा चरित्र” ने कृष्ण-सुदामा की अनोखी मित्रता की याद दिला दी। लीला में दिखाया गया कि कैसे बाल्यकाल में पाठशाला जाते समय कृष्ण और सुदामा की मुलाकात होती है। मित्रता निभाने के लिए कृष्ण सुदामा के साथ वनों में लकड़ी लाने जाते हैं। कहानी में उस समय दर्शक भावुक हो उठे जब सुदामा भूख के कारण कृष्ण का हिस्सा भी खा जाते हैं और गुरुदेव शांदीपन उन्हें दरिद्रता का श्राप देते हैं। इस लीला ने दर्शकों को सीख दी कि सच्ची मित्रता हर परिस्थिति में साथ निभाती है। किला मैदान में देर रात तक बड़ी संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहे।

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