धरोहर संरक्षण के लिए बेचैन रहते थे सीताराम उपाध्याय : लक्ष्मी कांत मुकुल

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संग्रहालय में पंडित जी के चित्र पर पुष्पांजलि, बच्चों ने किया अवलोकन                                                     बक्सर खबर। शहर के सीताराम संग्रहालय के मुख्य द्वार पर मंगलवार को एक कार्यक्रम आयोजित कर म्यूजियम के मुख्य दाता पंडित सीताराम उपाध्याय का चित्र लगाया गया। संग्रहालय के मुख्य दाता और धरोहर प्रेमी पंडित जी को याद करते हुए सुप्रसिद्ध साहित्यकार लक्ष्मी कांत मुकुल ने कहा कि वे हमेशा पुरानी धरोहरों को बचाने के लिए बेचैन रहते थे। बारिश के बाद नदी किनारे, प्राचीन टीले और ऐतिहासिक स्थल उनकी खास तलाश का हिस्सा रहते थे। उन्होंने बताया कि पंडित जी केवल पुरावशेष ही नहीं, बल्कि प्राचीन ग्रंथों और पांडुलिपियों को भी संजोकर रखने में गहरी रुचि रखते थे। यही कारण है कि लोग उन्हें विरासत संरक्षण का प्रतीक मानते थे।

संग्रहालय प्रभारी डा. शिव कुमार मिश्र ने पुष्पांजलि अर्पित करते हुए कहा कि पंडित जी संग्रहालय के पर्याय थे। उनके कारण ही उनके मुहल्ले को लोग ‘संग्रहालय गली’ के नाम से जानते हैं। उन्होंने परिजनों से आग्रह किया कि उनके पास जो दुर्लभ सामग्री अब भी घर में सुरक्षित है, उसे भी संग्रहालय को सौंपा जाए। पंडित जी के भाई के पुत्र देवदत्त उपाध्याय ने बताया कि उनके घर में अभी भी कई दुर्लभ ग्रंथ, पांडुलिपियां और पुरावशेष सुरक्षित हैं। शीघ्र ही उन्हें संग्रहालय को सौंप दिया जाएगा ताकि आने वाली पीढ़ियां उनसे लाभान्वित हो सकें।

पत्रकार राम मुरारी ने कहा कि पंडित जी बक्सर की समृद्ध विरासत के प्रमुख संरक्षक थे। उनका समर्पण हम सबके लिए प्रेरणा है। वहीं स्कूल निदेशक चंदन राय ने बताया कि पंडित जी के कार्यों से स्कूली बच्चों और नागरिकों को बक्सर की धरोहर के बारे में जानने का मौका मिला। कार्यक्रम में मोहम्मद आशिक, रामरूप ठाकुर, अभिषेक चौबे, कन्हैया उपाध्याय, अभिनंदन कुमार समेत एस एस गर्ल्स हाई स्कूल और रेडवुड पब्लिक स्कूल के बच्चों व संग्रहालय कर्मचारियों ने पंडित जी के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित की। इसके बाद बच्चों ने संग्रहालय की सामग्रियों और फोटो प्रदर्शनी का अवलोकन किया।

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