बक्सर संग्रहालय में 2 अगस्त से तीन दिवसीय कार्यशाला, 30 जुलाई तक कराएं रजिस्ट्रेशन बक्सर खबर। प्राचीन भारतीय लिपि “कैथी” को फिर से जीवंत करने के प्रयासों के तहत बक्सर के सीताराम उपाध्याय संग्रहालय में 2 अगस्त से 4 अगस्त तक तीन दिवसीय कैथी लिपि प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन होने जा रहा है। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन संग्रहालय एवं इंडियन नेशनल ट्रस्ट फॉर आर्ट एंड कल्चरल हेरिटेज, पटना के संयुक्त तत्वावधान में किया जा रहा है। संग्रहालयाध्यक्ष डॉ. शिव कुमार मिश्र ने बताया कि कार्यशाला में भाग लेने के लिए पंजीकरण की प्रक्रिया 18 जुलाई से शुरू हो चुकी है, जो 30 जुलाई तक चलेगी। कार्यालय अवधि में संग्रहालय परिसर में ही रजिस्ट्रेशन कराया जा सकता है। प्रशिक्षण में कुल 50 सीटें निर्धारित हैं, जिनमें से अब तक लगभग 75 प्रतिशत सीटें आरक्षित हो चुकी हैं।
प्रशिक्षण में विशेष रूप से राजस्व विभाग के कर्मचारी, अमीन, अधिवक्ता, बैंककर्मी और जमीन से जुड़े पेशेवरों को प्राथमिकता दी जाएगी। दरअसल, वर्तमान में बिहार सरकार द्वारा किए जा रहे जमीन सर्वेक्षण के दौरान पुराने दस्तावेजों की जानकारी आवश्यक हो गई है, जो अधिकतर कैथी लिपि में लिखे गए हैं। डॉ. मिश्र ने बताया कि कैथी लिपि का उपयोग बिहार में हजार वर्षों से अधिक समय से होता आ रहा है, लेकिन दुर्भाग्यवश आज की पीढ़ी इसे पढ़ने में असमर्थ है। न्यायालयों में लंबित अधिकांश जमीन विवादों के दस्तावेज इसी लिपि में हैं, जिसे न तो अधिवक्ता समझ पा रहे हैं और न ही राजस्व अधिकारी, जिससे न्याय प्रक्रिया प्रभावित हो रही है। कैथी लिपि के संरक्षण एवं प्रचार-प्रसार के लिए मैथिली साहित्य संस्थान, भारतीय भाषा संस्थान मैसूर, बिहार पुराविद परिषद जैसे संस्थानों के सहयोग से पटना, दरभंगा, भागलपुर, नवादा, बेगूसराय में पहले भी प्रशिक्षण शिविर आयोजित किए जा चुके हैं।

अब राजस्व विभाग भी अपने कर्मियों को प्रशिक्षित कर रहा है। कार्यशाला में प्रशिक्षण देने वालों में प्रीतम कुमार और वकार अहमद जैसे प्रशिक्षक शामिल होंगे, जिन्होंने कई जिलों में सफलतापूर्वक प्रशिक्षण दिया है। इसके लिए एक सहज और उपयोगी बुकलेट भी तैयार की गई है। डॉ. मिश्र ने बताया कि उनके निरंतर प्रयासों से तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय में छह महीने का कैथी लिपि सर्टिफिकेट कोर्स भी शुरू किया गया है। कैथी लिपि के पुनर्जागरण की दिशा में यह कार्यशाला एक मील का पत्थर साबित हो सकती है। इच्छुक प्रतिभागी 30 जुलाई तक अपना नाम अवश्य दर्ज करा लें।