श्रीमद्भागवत कथा में रुक्मिणी विवाह और महारास लीला का भावपूर्ण वर्णन

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राजपुर प्रखंड के सगराव ग्राम में भक्तिभाव से गुंजायमान हुआ कथा स्थल                                  बक्सर खबर। राजपुर प्रखंड के सगराव ग्राम में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा महापुराण में छठवें दिन आचार्य रणधीर ओझा ने रुक्मिणी विवाह और महारास लीला का अत्यंत भावपूर्ण वर्णन किया। कथा के दौरान आचार्य श्री ने बताया कि नारद जी की भविष्यवाणी से रुक्मिणी के भाई रुक्मण क्रोधित हो गए और उन्होंने रुक्मिणी का विवाह शिशुपाल से तय कर दिया। लेकिन रुक्मिणी ने श्रीकृष्ण को संदेश भेजा, जिस पर श्रीकृष्ण ने मंदिर से रुक्मिणी का हरण कर लिया। अंत में रुक्मण को श्रीकृष्ण के नारायण स्वरूप का बोध हुआ और उन्होंने स्वयं विवाह करवाया।

आचार्य श्री ने कहा कि महारास केवल शारीरिक नहीं बल्कि आत्मिक अनुभव है। जब गोपियों में भक्ति का अहंकार आया, तो श्रीकृष्ण ओझल हो गए। बाद में गोपियों द्वारा गाया गया “गोपी गीत” सुन प्रभु प्रकट हुए। यही जीव और ब्रह्म का मिलन है। कथा में श्रीकृष्ण की लीलाओं – मथुरा प्रस्थान, कंस वध, कालयवन वध, उधव-गोपी संवाद, द्वारका स्थापना और रुक्मिणी विवाह जैसे प्रसंगों को संगीतमय भाव से प्रस्तुत किया गया। आचार्य श्री ने कहा कि जो सच्चे मन से भगवान की शरण में जाता है, उसके पाप मिट जाते हैं। उन्होंने भक्ति को ही जीवन का सबसे बड़ा उद्देश्य बताया।

 

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