सदियां गुजर गई जहर पीते-पीते 

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‌‌‌बक्सर खबर : सुशासन का नारा है। घर-घर नल, मिलेगा शुद्ध पेयजल। यह नारा कभी हकीकत बनेगा कहा नहीं जा सकता। क्योंकि यहां बच्चे और बुढ़े सभी जहर पीने का मजबूर हैं। प्रशासनिक रिपोर्ट के अनुसार जिले के चार प्रखंडों के 51 गांव के लोग पानी के साथ जहर(आर्सेनिक) का सेवन कर रहे हैं। यह कोई नई बात नहीं है। पिछली सदी यानी वर्ष 1996 में ही यह रिपोर्ट तैयार हुई थी। आज 21वीं सदी का सत्रहवां साल मुहाने पर है। लेकिन उन 51 गांवों के लोगों को जहर मिले पानी से छुटकारा नहीं मिल सका।
 
किन प्रखंड़ों का है बूरा हाल 
‌‌‌बक्सर  : बक्सर प्रखंड के तराई छेत्र, सिमरी, चक्की और ब्रह्मपुर प्रखंड के कई गांव आर्सेनिक युक्त जल का सेवन करते चले आ रहे हैं। जिसकी वजह से यहां के लोग गंभीर बीमारियों की चपेट में आ चुके हैं। लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग की रिपोर्ट के अनुसार 152 टोले ऐसे हैं। जहां के चापाकलों से आर्सेनिक युक्त पानी की जांच हुई है। इसकी रिपोर्ट राज्य और केन्द्र सरकार को भेजी जा चुकी है। जिसको देखते हुए यहां जल शोध संयत्र लगाने को मंजूरी भी मिली थी। लेकिन उसका कार्य शुरू से ही इतनी धीमी गति से चल रहा था। योजना कब पूरी हो जाएगी कहा नहीं जा सकता। ग्यारह वर्ष पहले इसका कार्य शुरु हुआ। कम्पनी मात्र 20 फिसदी काम करके साल 2015 में ही भाग निकली।
वाटर ट्रिटमेंट प्‍लांट का निरीक्षण करने पहुंची सिमरी बीडीओ
 
100 करोड़ की थी योजना
‌‌‌बक्सर :  : केन्द्र सरकार की मदद से बनने वाला जल शोध संस्थान सिमरी प्रखंड के केशोपुर में स्थापित होने वाला था। इसकी कुल लागत सौ करोड़ पचास लाख थी। जिसका कार्य को पूरा करने के लिए हैदराबाद की कंपनी आई वी आर सी एल को जिम्मा दिया गया था। इसके साथ वर्ष 2008 में ही करार हुआ था। कार्य अवधी 30 जून 2009 से तीस माह की रखी गई थी। इसका शिलन्यास 2 मार्च 2012 डीएम अजय यादव ने भूमी पूजन कर किया था। इसके तहत सौ किलोमीटर लंबी पाइप लाइन बिछाई गई थी।
गंगा का पानी बनना था अमृत
‌‌‌बक्सर  : केशोपुर में बनने वाला जल शोध संस्थान गंगा से पानी लेकर उसको मिनरल वाटर बनाता। लगने वाला संयत्र को प्रतिदिन साढ़े 15 लाख लीटर पानी की आपूर्ति करना था। जिसे पाइप लाइन के जरिए 87 चिरागी गांव में से 51 गांव के डेढ़ लाख से अधिक परिवारों तक पहुंचाया जना था। योजना महत्वाकांक्षी थी। लेकिन गति काफी धीमी रही समय के साथ कंपनी फरार हो गई। प्रशासन ने जल शोध संस्थान के लिए केन्द्रीय जल आयोग ने बीस एकड़ भूमि की आवश्यकता बताई थी। इस भूमि का अधिग्रहण राज्य सरकार ने वर्ष 2010 में ही कर लिया था। यह भूमि जिला जल स्वच्छता समिति को सुपुर्द कर दिया था। तय स्थल पर बेस बनाने का कार्य शुरु हुआ। लेकिन फिलहाल वहां अवशेष ही मौजूद है।
राज्यपाल रामनाथ कोविन्द को ज्ञापन देते विजय मिश्रा
राज्यपाल को भी दिया गया था ज्ञापन 
‌‌‌बक्सर  :  : जल शोध संस्थान का निर्माण शुरू हो। इसके लिए वर्ष 2016 में तत्कालीन राज्यपाल रामनाथ कोबिद को सिमरी के युवा नेता विजय मिश्रा ने ज्ञापन सौंपा था। एक दसक से ठंड़े बस्ते में पड़ी फाइल पर राज्यपाल द्वारा पूछे गए जवाब के कारण हरकत में आई। लेकिन उस प्रयास को भी एक वर्ष होने जा रहे हैं। इस योजना का क्या होगा। यह बताने के लिए जिले का कोई अधिकारी तैयार नहीं है।

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