21 जून को लगेगा सूर्य ग्रहण, विश्व पर पड़ेगा बुरा प्रभाव

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-500 वर्ष बाद बन रहा ऐसा संयोग, भयंकर भूकंप और जल उत्पात की संभावना
बक्सर खबर। इस माह की 21 तारीख को खण्डग्रास सूर्य ग्रहण लगेगा। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार पूरे विश्व पर इसका बहुत बुरा प्रभाव पड़ेगा। क्योंकि कुल  छः ग्रह वक्री हो रहे हैं। भूकंप, सुनामी जैसा तूफान और कुछ देशों के मध्य युद्ध की स्थिति पैदा होगी। इसका प्रभाव नव  संवत्सर तक चलेगा। भारतीय समय अनुसार बक्सर में इसका स्पर्श समय दिन के 10:33 से प्रारंभ होगा। दोपहर 12: 21 मध्य काल होगा। अपराह्न 02 : 06 में मोक्ष हो जाएगा। सिंह लग्न में प्रारंभ होने वाला ग्रहण तुला लग्न में समाप्त होगा। पंडित नरोत्तम द्विवेदी के अनुसार मृगशिरा आद्र्रा नक्षत्र एवं मिथून राशि में यह ग्रहण 95 प्रतिशत आच्छादित होगा। ऐसा संयोग 500 साल बाद बन रहा है।

ग्रहण काल में क्या नहीं करें
बक्सर खबर। मूहूर्तचिन्तामणि ग्रन्थ के अनुसार सूर्यग्रहण के दौरान शयन करना, यात्रा, पत्ते छेदना, तृण, काष्ठ कार्य, फूल तोडऩा, बाल व नाखून काटना, कपड़े धोना, सिलना, दांत साफ करना, भोजन, मैथुन, हाथी, घुड़सवारी और गाय भैस दूहना वर्जित है। गर्भवती स्त्रियां कुशा बाल में एवं विस्तर के नीचे रखें। गाय का गोबर लेप नाभि के पास लगा सकती है। दूध, दही, घी में भी कुशा रखने का विधान है। नियमानुसार सूर्य ग्रहण का सूतक 12 घंटे पहले ही प्रारंभ हो जाता है।
ग्रहण का राशिनुसार फलाफल–
मेष – लक्ष्मी प्राप्ति।
वृष – हानि,क्षति।
मिथुन – घात,अरिष्ट।
कर्क- हानि।
सिंह-लाभ।
कन्या-सुख।
तुला-अपमान, माननाश।
वृश्चिक-मरणतुल्यकष्ट।
धनु-पीड़ा, स्त्री पीड़ा।
मकर-सौख्य, सुखवृद्धि।
कुंभ – चिन्ता।
मीन – व्यथा।
यानि मेष, सिंह, कन्या, मकर चार राशि वालों के लिये शुभ फलदायक और बाकी आठ राशियों के लिये कष्ट फलकारक है।

सूर्य ग्रहण के समय ग्रहों की स्थिति

पांच सौ सालों में नहीं बनी ऐसी ग्रह स्थिति
बक्सर खबर। 21 जून 2020 को लगने वाले सूर्य ग्रहण में 6 ग्रह वक्री रहेंगे। ग्रहण राहुग्रस्त हैं, जो मिथुन राशि में सूर्य एवं चन्द्रमा को पीडि़त कर रहे है। मंगल जल तत्व की राशि मीन में होकर मिथुन, कन्या एवं तुला राशि को देख रहे हैं। इस दिन बुध, बृहस्पति, शुक्र शनि वक्री रहेंगे। राहु, केतु तो हमेशा ही वक्री रहते है। इन6ग्रहों की वक्र गति होने के कारण ये सूर्य ग्रहण खास हो गया है। वराहमिहिर के ज्योतिष ग्रंथ वृहत्संहिता के अनुसार इस ग्रहण पर मंगल की दृष्टि होने से एवं 6 ग्रह वक्री होने से ग्लोब चित्रानुसार मिथुन, वृष, कर्क, वृश्चिक, धनु और मकर रेखा में पडऩे वाले क्षेत्र व देश में भयंकर भूकम्प, जलप्लावन, सुनामी, अग्नि तांडव एवं महामारी का विशेष प्रकोप होगा। भारत में मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, उत्तराखंड, महाराष्ट्र, गुजरात, काश्मीर, हिमालयी क्षेत्र, बिहार में भूकम्प और जलप्लावन की स्थिति भयंकर हो सकती है।

पंडित नरोत्तम द्विवेदी

अन्य देशों मेंअफगानिस्तान, नेपाल, चीन, पाकिस्तान, सउदीअरब, यूएई, यूथियोपिया, कांगो, अमेरिका में भी भूकम्पादि उत्पात, सुनामी एवं अन्य जगहों पर जीवित ज्वालामुखी का भयंकर रुप दीख सकता है। ग्रहों की स्थिति और सूर्यग्रहण के दुष्प्रभाव विचार से भारत की राजधानी दिल्ली, गुजरात, महाराष्ट्र, उत्तराखंड, नेपाल, चीन, हिमालयी क्षेत्र में 22 दिसम्बर से पहले बड़ा भयंकर भूकंप आने का भय बना रहेगा। विश्व फल विचार से पूरा विश्व तीन ध्रुवों मे बंटेगा। परमाणु युद्ध भी हो सकता हैं, क्योंकि अग्नि तत्व सूर्य चतुग्रही ग्रहण योग में हैं, तथा उसपर मंगल की पूर्ण दृष्टि है। पूरे विश्व में दो से तीन देशों का अस्तित्व समाप्त हो सकता है। इसका प्रभाव नव संवत्सर से पूर्व बना रहेगा।
(खबर ज्योतिषाचार्य पंडित नरोत्तम द्विवेदी के विमर्श पर आधारित है)

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