बक्सर के दर्शनीय स्थलों में नौलख्खा मंदिर का जोड़ नहीं

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बक्सर खबर। अगर हम बात बक्सर के दर्शनीय स्थलों की करें तो नौलख्खा मंदिर आज भी सबसे अलग है। क्योंकि यह कोई सामान्य मंदिर नहीं। भगवान विष्णु का वह मंदिर है। जिसे दिव्य देश कहा जाता है। जो बक्सर घूमने आता है। वह इसके दर्शन जरुर करता है। क्योंकि दक्षिण भारतीय पद्धति से बना पटना प्रमंडल का इकलौता मंदिर है। बक्सर खबर के साप्ताहिक कालम यह भी जाने में आज हम इस मंदिर की चर्चा करेंगे।

क्या है विशेषता
बक्सर खबर : नौलख्खा मंदिर की सबसे प्रमुख विशेषता यह है कि यहां भगवान विष्णु के चार विग्रह हैं। स्नान मूर्ति, भोग मूर्ति, भ्रमण मूर्ति, शयन मूर्ति। यहां दिन में दो बार भगवान मंदिर से बाहर निकलते हैं। पालकी में भगवान मंदिर का भ्रमण करते हैं। इसी वजह से मंदिर को दिव्य देश कहा जाता है। भगवान को यहां पोंगल का भोग लगाया जाता है। मुख्य द्वार पर सोने के आवरण चढ़े कलश लगे थे। जिसे चोरों ने चूरा लिया। कलश दुबारा लगाए गए। जिसे अब ढंक दिया गया है। यहां लगा गरूण ध्वज भी स्वर्ण पत्र जडि़त है।
बिहार का इकलौता शीश महल
बक्सर खबर। मंदिर में शीश महल है। जिसे राजस्थान के कलाकारों ने तैयार किया है। छोटा है, लेकिन इसके आकर्षण का कोई जवाब नहीं। भगवान राम एवं कृष्ण के जीवन काल की झलक यहां मौजूद है। धनुष यज्ञ, राम विवाह, बन गमन, राज्याभिषेक आदि के चित्र बने हैं। जो बहुत ही आकर्षक हैं। भगवान कृष्ण के जन्म, कालिया मर्दन आदि की तस्वीरें बनी है। बच्चों को यह शीश महल बहुत ही भाता है।

मंदिर के दृश्य

कब और किसने कराया निर्माण
बक्सर खबर। मंदिर की स्थापना पूज्य त्रिदण्डी स्वामी जी महाराज की प्रेरणा से कराया गया। गंगा किनारे लक्ष्मी-नारायण मंदिर में उनका आश्रम था। इसके पास ही मंदिर निर्माण की कराया गया। बात 1974 की है जब मंदिर बनकर तैयार हुआ। तब इसकी ख्याति और आकर्षण ने पूरे जिले का ध्यान अपनी तरफ खींच लिया। लोगों को तब पता चला कि इसका निर्माण वासुदेव जी सोमानी ने कराया है। वे राजस्थान के रहने वाले थे। देश की सबसे बड़ी कपड़ा बनाने वाली मिल श्रीनिवास कॉटन के मालिक। मंदिर के लिए जमीन खरीदी गई। पास में एक छोटा बगीचा है। जहां भगवान को चढ़ाने के लिए पुष्प व तुलसी के पौधे लगाए जाते हैं। फिलहाल उनके पुत्र रंगनाथ जी सोमानी मंदिर का खर्च वहन करते हैं। इसका संचालन ट्रस्ट के नियमानुसार होता है। यहां एक प्रबंधक, चार पुजारी, सफाई कर्मी और माली तैनात हैं। जिनका पूरा खर्च आज भी सोमवानी परिवार ही वहन करता है।

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