‌‌‌खुंटी यादव से तो नहीं जुड़ा सरपंच सह अधिवक्ता की हत्या का कनेक्शन

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बक्सर खबर। जगदीशपुर पंचायत के सरपंच चितरंजन सिंह की हत्या क्यों हुई? यह सवाल सबके जेहन में कौंध रहा है। फिलहाल यह बात सामने खुल कर आ रही है कि उन्हें बदले की भावना से मारा गया है। इसका कनेक्शन खुंटी यादव हत्या कांड से जुड़ा हो सकता है। सूत्रों के अनुसार चितरंजन सिंह उर्फ चितरंजन चौधरी जगदीशपुर गांव के ही रहने वाले थे। वे न्यायालय में नियमित प्रैक्टिस किया करते थे। वरीय अधिवक्ता बबन ओझा के जूनियर भी रहे हैं। लगभग दो माह पहले जमानत पर रिहा हुए।

उनके विरूद्ध खुंटी यादव की हत्या का आरोप था। 18 मई 2018 को ईटाढ़ी गुमटी पर खुंटी यादव की हत्या हुई थी। जो लालगंज गांव के निवासी थे। हत्या के दिन अपनी गाड़ी से वे गांव जा रहे थे। गाड़ी बेटा यशवंत चला रहा था। घटना में वह भी गोली लगने से घायल हुआ। उसके बयान पर जगदीशपुर निवासी सरपंच सह अधिवक्ता चितरंजन चौधरी समेत छह लोगों को नामजद किया गया।  चितरंजन उसके मुख्य अभियुक्त थे। सूचना के अनुसार उनके दो भाई अभी भी जेल में हैं। 

 

जमीन के विवाद से जुड़ा है मामला

बक्सर खबर। चितरंजन की हत्या के पीछे कौन है। यह बात फिलहाल जांच का विषय है। लेकिन, जब खुंटी यादव यादव की हत्या हुई थी। उस समय यह बात सामने आई थी। छह बिघे जमीन के लिए खुंटी यादव की हत्या हुई है। क्योंकि चितरंजन की चचेरी बहन ने अपने हिस्से की जमीन खुंटी को बेच दी थी। जिसको लेकर चितरंजन से पुराना विवाद चल रहा था। खुंटी नदांव पंचायत के पूर्व मुखिया थे। उनकी छवी दबंग नेता की थी। सो उन्होंने विवादित जमीन खरीद ली। लेकिन, आगे चलकर वह उनकी मौत का कारण बनी। उस हत्या की अदावत में अब चितरंजन शिकार हुए है। फिलहाल यह  तथ्य सामने आया है। वैसे पुलिस अपनी जांच में क्या रिपोर्ट देती है। यह जल्द ही सामने आएगा। 

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