बक्सर खबर। देखे होंगे आप बक्सर के कई रंग। हैरान हुए होंगे देखकर। परेशान भी। लेकिन असली रंग हम दिखाएंगे आपको। जिस पर आपको गर्व होगा। नाज भी। खुशी भी। क्योंकि बक्सर का असली रंग यही है। हमें इसी रंग को चटख करना है। इतना चटख कि अफसोस वाले दूसरे सारे रंग फीके पड़ जाएं। देश में जहां राजनीति हिंदू-मुसलिम के बीच खाईं को चौड़ा करती जा रही है। वहीं एक अनाथ मुस्लिम बेटी के निकाह के लिए बक्सर के दर्जनों हिंदू बाप बनकर खड़े हो गए। आज शुक्रवार को उस बेटी का निकाह है। वह विदा होगी ससुराल। साथ ले जाएगी इन बापों के दिए सामान को। लेकिन उससे कहीं ज्यादा कीमती जो चीज लेकर जाएगी, वह होगा इन सभी का आशीर्वाद।
एहसान खान। यही नाम है उस बुजुर्ग का जो उस बेटी केदादा हैं। रहने वाले तो बक्सर के हैं। लेकिन फिलहाल उनका ठिकाना डुमरांव है। ठिकाना भी अपना निजी नहीं, साढू का दिया हुआ। गरीबी ऐसी कि दो जून की रोटी मुहाल है। ऐसे में पोती के निकाह का खर्च कहां से उठाते। सो, उन्हें याद आया अपना बक्सर। उम्मीद थी उनको अपने बक्सर वालों से। उम्मीद होना लाजिमी भी है।