मोरारी बापू ने कहा मामा और अल्लाह को समर्पित है यहां की राम कथा

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-नौ दिवसीय कथा का विश्राम, वृदांवन हुए रवाना
बक्सर खबर। राष्ट्रीय कथावाचक मोरारी बापू रविवार को बक्सर से विदा लेकर वृदांवन के लिए रवाना हो गए। दोपहर बारह बजे उन्होंने अपनी कथा को विश्राम देते हुए कहा पूज्य मामा जी की स्मृति में एवं अल्लाह के चरणों में समर्पित है यहां की मेरी राम कथा। अपने इन संवादों के कारण चर्चा में रहे बापू ने विदा होने से पूर्व जेल में हुई कथा की चर्चा की। उन्होंने कहा गुनाह हो जाए तो उसके लिए कानून में सजा है। अपराध हो जाए तो झमा है और पाप हो जाए तो प्रायश्चित है।

इन सब व्याखानों के अलावा उन्होंने राम कथा पर ध्यान केन्द्रीत करते हुए कहा। मानस अहल्या में प्रभु श्रीराम ने अहल्या का उद्धार किया। क्योंकि उस सिला को वहीं पढ़ सकते थे। वे सिर्फ सिला नहीं शिलालेख थी। रामचरित मानस छह खंड़ों में विभाजित है। जिसमें बालकांड वर्षन का कांड है, उत्साह का कांड है। जबकि अयोध्या कांड दर्पण का कांड है। अरण्य कांड आकर्षण कांड है और किष्किंधा कांड प्रवचन का कांड है। सुंदरकांड मां जानकी के दर्शन का कांड है। लंका कांड घर्षण का कांड और उत्तरकांड तर्पण का कांड है।

हेलीकाप्टर से विदा होते बापू

बापू ने रामकथा को मनुष्यता का ग्रंथ बताते हुए कहा कि राजा किसी की सेवा ग्रहण नहीं करता है अपितु सबकी जो सेवा करे वही राजा है। और रामराज्य इसका प्रतिबिंब है। रामराज प्रेम और त्याग का राज्य है। बापू ने कहा कि जब हम सत्ता के पास जाते हैं। तो सत्ता भव्य दिखती है। क्योंकि सत्ता भव्य होती ही है। लेकिन जब सत्ता सत्य के पास जाती है तो आदित्य हो जाती है। बापू ने कहा मानस का सार सत्य प्रेम और करुणा है।
संत अटक सकता है पर छटक नहीं सकता
बक्सर खबर। मामा जी के जीवन के एक प्रसंग की व्याख्या करते हुए कहा कि एक बार गोरे दाऊ के महंत जी, मामाजी और मैं बैठे हुए थे। तब एक महात्मा ने कहा कि आपने हमारे यहां समय दिया था और आए नहीं। इस पर मामा जी ने कहा कि मैं अब की बार आपके यहां निश्चित आऊंगा। तब गोरे दाऊ के मामा जी से कहा आपका स्वास्थ्य खराब है फिर भी क्यों आप जाने का वचन दे रहे हैं। तो मामा जी ने कहा कि जब वचन दिया है तो छटक नहीं सकता हूं। क्योंकि संत अटक सकता है, भटक सकता है, लेकिन छटक नहीं सकता। और जो सच्चा संत होता है वह किसी की नजर में खटक भी नहीं सकता है। और मामा जी आज तक किसी की नजर में खटके नहीं।
राजा राम जी ने कहा हम सेवा के काबिल नहीं पर प्रतिक्षा रहेगी
बक्सर खबर। रविवार को जब कथा प्रारंभ हो रही थी। तब राजाराम जी ने बापू का बहुमान किया। साथ ही कहा हम आपकी सेवा के लायक नहीं। पर यह उत्सव आपका है। मामा जी इसे आपको सौंप कर गए हैं। आज एक तरफ मां जानकी और प्रभु श्री राम की विवाह पंचमी है। दूसरी तरफ कथा का विश्राम हो रहा है। इन दोनों में तालमेल नहीं बैठता है। उन्होंने मामा जी द्वारा गाई एक चौपाई का उल्लेख करते हुए भाव विह्वल होकर कहा कि बाबू हम लोग बनवासी के तरह हैं बिल्कुल सुने हैं। हम लोग आपकी सेवा के योग्य भी नहीं हैं। यहां पधार कर आपने हम सबों को धन्य कर दिया। हम सभी आपकी सदैव प्रतीक्षा में रहेंगे। उनके अलावा मलूक पीठाधीश्वर राजेन्द्र दास जी महाराज ने भी श्रीमुख से मामा जी को याद किया। एक बार एक व्यक्ति ने पूछा। आप जीवन भर यहां से वहां भटकते रहे। लीला करते रहे। क्या मिला आपको। पहले तो उन्होंने उसे टाल दिया। लेकिन, बार-बार प्रश्न दोहराने पर कहा। भारत भर के संतों का प्यार मुझे मिला। मेरे जीवन की यही सर्वोच्च उपलब्धि है। संतों के जो लक्षण होते हैं। वह सभी मामा जी में एक साथ विद्यमान थे।
पुस्तक का हुआ विमोचन
बक्सर खबर। कथा के प्रारंभ में ही व्यासपीठ से नेह निधि मामा जी की स्मृति में बटोही झा द्वारा लिखित नेहनिधि पीयूषम पुस्तक का विमोचन पूज्य श्री मोरारी बापू व राजेंद्र दास जी महाराज के कर कमलों द्वारा किया गया।

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