जीवन भगवान की भक्ति के लिए है-आचार्य भारतभूषण

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बक्सर खबर। सुरौंधा गांव के तिलक बाबा मंदिर कथा चल रही है। यहां आयोजित श्रीलक्ष्मी नारायण यज्ञ में श्रीमद्भागवत-कथा सप्ताह का आज सोमवार को चौथा दिन था। प्रवचन करते हुए आचार्य डॉ. भारतभूषण जी ने कहा कि जीवन का परम लाभ भगवान की भक्ति ही है। विभिन्न उद्धरणों द्वारा जगत को जगदीश्वर की प्रतीति व अनुभूति का साधन बताया। संसार की सारी वस्तुएं अंत में यहीं छूट जाती हैं। केवल सत्कर्म, भजन अथवा धर्म ही साथ जाता है। उन्होंने कहा कि किसी भी परिस्थिति में धर्मपालन में प्रमाद नहीं करना चाहिए। धर्म के विभिन्न रूपों की व्याख्या करते हुए आचार्य ने कुलधर्म, वर्णधर्म, आश्रम धर्म, दानधर्म, मोक्षधर्म, स्त्री धर्म एवं भगवद्धर्म पर विस्तार से प्रकाश डाला।

उन्होंने कहा कि उपरोक्त वैदिक धर्मों के पालन से रामराज्य तथा इनकी उपेक्षा से कलियुग की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। आचार्य ने ज्ञान-वैराग्य निरपेक्ष भक्ति, यम-नियम निरपेक्ष योग और विधि-वर्ण-वेष निरपेक्ष कर्मकांड को अपूर्ण बताया। उन्होंने विधिपूर्वक वैदिक शिक्षाओं का आचरण करने पर बल दिया। कोरोना वायरस पर पूरे विश्व में मची भयावहता पर बोलते हुए आचार्य भारतभूषण ने कहा कि यज्ञों एवं वैदिक सदाचार धर्मों के द्वारा ही सभी विषाणुओं, प्रदूषणों एवं व्याधियों को नष्ट किया जा सकता है। प्राणियों के उत्कर्ष का मार्ग प्रशस्त हो सकता है। आचार-विचार, आहार-विहार एवं वेषभूषा की शुद्धि ही विश्व की रक्षा का एक मात्र मार्ग है। कथा एवं यज्ञ की पूर्णाहुति 20 मार्च को होगी। भंडारा 21मार्च को होगा।

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