बक्सर खबर। मैं बाजार की तरफ जा रहा था। तभी रास्ते में बतकुच्चन गुरू से मुलाकात हो गयी। वे अपनी तय जगह पर बैठे कुछ बुदबुदा रहे थे। मेरा सामना हुआ तो देखते ही बोले। आव गुरू का हाल हौ। मैंने अभिवादन किया और पास में बैठ गया। अक्सर गरज कर बोलने वाले बतकुच्चन गुरू बहुत धीरे से बोले। हमरा तो से कुछ पूछना है। उनकी बात सुनते मेरा माथा ठनका, कुछ विशेष है क्या? मैं सोच ही रहा था कि वे बोले, हम तोहरा मीडिया के देख रहे हैं। न हेलीकाप्टर उड़ाए न कुत्तिया घुमाए। का बात है समाचार लिखे में कवनो दिक्कत है।
मैं कुछ जवाब देता उससे पहले ही वे बोल पड़े। तोहके खबर छापे चाही। कौन का कहता है एकर फेरा में पड़े के जरुरत ना हौ। नेता के प्रचार हौ या कुतिया के समाचार। जिला के सब मीडिया वाले जम के छापे हैं। तबहु तु न छापे। मैंने हिम्मत जुटा के कहा, यह समाचार कम प्रचार ज्यादा था। इस लिए मैंने ऐसा किया। मेरे इतना कहते वे बिदक गए। तू अपने के का समझे हौ गुरू। ई दुनिया के हू के ना छोड़े वाली है।