काहो के निकल रहल बा… बक्सर से…

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बक्सर खबर। पिछले चौबीस घंटे से फोन करने वाले लोग यही सवाल कर रहे हैं। का हो के निकल रहल बा बक्सर से? इस सवाल का जवाब कौन दे। मतदान की समाप्ति के बाद से ही आंकलन का दौर जारी है। चाय-पान की दुकान हो अथवा गली-मुहल्ला। हर जगह इसकी चर्चा आम है। एक साथ रहने वाले दोस्त भी एक दूसरे से पूछ कर तसल्ली ले रहे हैं। तुमको क्या लग रहा है। कोई भाजपा को आगे बता रहा है कोई राजद को। बहस का परिणाम नहीं निकल रहा है तो लोग कहते सूने जा रहे हैं सीधा मुकाबला है। परिणाम 23 को पता चल ही जाएगा। अब क्या घबराना। जो राजनीतिक विश्लेषण करने वाले हैं। वे अपने-अपने तर्क दे रहे हैं। कुछ समर्थक ऐसे हैं कि वे बसपा और जनतांत्रिक पार्टी को भूल जा रहे हैं। पिछले चुनाव में बसपा तीन नंबर पर थी। यह कहने पर कुछ लोग कहते हैं। अरे उससे अधिक वोट तो सिलाई मशीन वाले को आएगा।

अर्थात सबके वोट बैंक में कहीं न कहीं इस पार्टी ने सेंध लगाई है। तभी तो पहली बार चुनाव लड़ रहे जनतांत्रिक पार्टी के उम्मीदवार अनिल कुमार को चुनावी गणित लगाने वाले याद जरूर कर रहे हैं। लोगों का ऐसा मानना है। बसपा के वोट बैंक को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है। कुछ का कहना है, इस बार कुशवाहा वोट और राजभर वोट भाजपा के साथ नहीं है। उसका नुकसान उसे उठाना होगा। कोई कहता है बड़ी संख्या में महिलाओं ने भाजपा को वोट किया है। इसका सीधा लाभ उसे मिलेगा। कुल मिलाकर बक्सर लोकसभा सीट किसके खाते में जाएगी। यह कहना मुश्किल प्रतीत हो रहा है। लेकिन, सब लोग जरुर मान रहे हैं। इस बार भाजपा नरेन्द्र मोदी की छवि पर चुनाव लड़ रही है। उसके ठीक विपरीत महागठबंधन की एकता को भी नकारा नहीं जा सकता। चुनावी चर्चा के इस समर में सबके अपने-अपने दावें हैं। जिसका खुलासा अब 23 को ही होगा। वैसे आरडीयू के उम्मीदवार अनिल राय उर्फ भैया जी, निर्दलीय उम्मीदवार रणजीत सिंह राणा, निर्दलीय उम्मीदवार रामचन्द्र सिंह यादव ऐसे लोग हैं। जो चुनाव परिणाम को प्रभावित करेंगे।

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