भूख से नहीं बीमारी से होगी एक और मजबूर की मौत

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बक्सर खबर। बक्सर में भूख से मौत नहीं हो सकती। क्योंकि यहां बहुत ही मर्म… स्पर्शी लोग रहते हैं। यहां का प्रशासन भी सजग है। अनाज तो हर उस व्यक्ति को मिलता है जो यहां का नागरिक है। और अब तो यहां कोई बीमारी से भी शायद न मरे। क्योंकि अस्पताल खुलवाने वाले विधायक और उद्घाटन करने वाले मंत्री भी हैं। अगर कहीं कसर बाकि रह भी जाति है तो यहां ऐसे युवा समाजसेवी हैं। जो आपको रात में एंबुलेंस से अस्पताल भी पहुंचा सकते हैं। कुछ लोग भोजन का पैकेट भी बांटते हैं। हम जैसे काबिल मीडिया वाले भी जो आज हां कल ना कहना जानते हैं। कुल मिलाकर बक्सर सेफ है।

रही बात जिंदगी की तो वह किसी के हाथ में है नहीं। अगर आप पढ़े लिखे हैं तो भगवान को नहीं कोसेंगे। क्योंकि उनके होने का प्रमाण तो है नहीं। व्याख्या बहुत हुई अब हम खबर पर आते हैं। आपके सामने जो तस्वीर है। वह बक्सर स्टेशन के प्लेटफार्म संख्या दो की है। अब आपको जगह भी बात दें। यह शौचालय है, जिसे हाल ही में आरपीएफ बैरक के पास बनाया गया है। अंदर नंग-धडंग एक अस्थि पंजर व्यक्ति लेटा है। इसे कहीं पनाह तो मिलने से रही। देश में चल रहे स्वच्छता अभियान की देन है कि इसे शौचालय नसीब हुआ है।

शौचालय में पड़े वृद्ध व्यक्ति

इसके लिए न तो वृद्धाश्रम है न ही कोई तारणहार। किसी मीडिया वाले की नजर भी इन पर नहीं पड़ी। हम यहां एक सच आपको और बता रहे हैं। बक्सर खबर को यह तस्वीर दो दिन पहले प्रमोद मिश्रा ने भेजी थी। अफसोस (हमें खेद है) हमारी नजर भी इस पर दो दिन बाद पड़ी। अब डर यह है कि खबर छपने के बाद इस व्यक्ति को कोई अपनी साख बचाने के लिए ट्रेन में डाल कर कहीं और न भेज दे। क्योंकि, यहां का रेल प्रशासन भी किसी से कम समझदार नहीं। उम्मीद है आप पाठक भी इस व्यक्ति की हालत देख कुछ सुझाव जरुर देंगे। अगर किसी की भावना को ठेस लगे तो बक्सर खबर क्षमा प्रार्थी है।

1 COMMENT

  1. Ye to sahi bt h ki log unpe dhayan nhi dete jispe sach me dene ki jarurt h……afsos is bt ki h ki hm apne des ko samjh rhe h ki tarki kr rha h…….lekin jha aisa ho waha tarkii Ka koi faida nhi. ……………

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