गिरता जा रहा है पत्रकारिता का स्तर : रविन्द्र दुबे

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बक्सर खबर : पत्रकारिता का पेशा बहुत ही चुनौतियों भरा होता है। इस लिए इसमें आने वाले को हमेशा तैयार रहना चाहिए। लेकिन मौजूद वक्त में हालात बहुत बदल गए है। पत्रकारिता में ऐसे लोग आ गए हैं। जिनसे पत्रकारिता ही मुश्किल में है। लगातार इसका स्तर गिर रहा है। इस तरफ पत्रकारों को ही ध्यान देना होगा। जरुरी इस पेशे से जुड़े लोग आत्म मंथन करें। नहीं तो हमारा साथ मीडिया की साख भी खतरे में पड़ जाएगी। यह बातें रविन्द्र दुबे ने कहीं। वे हिन्दुस्तान के पत्रकार हैं। जिले के सिमरी प्रखंड क्षेत्र की समस्याओं पिछले एक दशक से देख और उनके निदान के लिए संघर्ष कर रहे हैं। अपने साप्ताहिक कालम इनसे मिलिए के हमने रविवार को उनसे बात की। प्रस्तुत है बातचीत के मुख्य अंश

कदम-कदम पर है खतरा
बक्सर : पत्रकारिता का दौर बदल गया है। चुनौतियां पहले भी थी आज भी हैं। लेकिन अब कदम-कदम पर खतरा है। उस दौर में अपराधी एक-दो हुआ करते थे। उनका एक स्तर होता था। लेकिन आज हर मोड़ में अपराधी मौजूद हैं। जिन पर अंकुश लगाना प्रशासन के लिए चुनौती है। साथ ही उनसे मीडिया को भी खतरा है।

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पत्रकारिता का सफर 
बक्सर : रविन्द्र दुबे बताते हैं। वर्ष 2005 में उन्होंने हिन्दुस्तान अखबार के लिए लिखना शुरु किया। उस समय अवनीश अगाध यहां के कार्यालय प्रभारी थे। वैसे प्रयास तो मैं पहले से ही कर रहा था। लेकिन मुझे लिखने का मौका उनके समय में मिला। सफर शुरु हुआ, जो आज तक जारी है। पिछले 12 वर्षो से एक ही अखबार के लिए काम करने के दौरान बहुत कुछ सीखने को भी मिला। अनुभव की बात करें तो मैं यही कहूंगा। अगर आप अपने गृह क्षेत्र में पत्रकारिता कर रहे हैं। अपनी पत्रकारिता को जन सरोकार से जोड़े। तभी आपको सफलता मिलेगी। वैसे भी पत्रकारिता का पेशा कमाई के लिए नहीं है।
व्यक्तिगत जीवन
बक्सर : रविन्द्र दुबे का जन्म 25 दिसम्बर 1976 को सिमरी निवासी देव मुनी दुबे के घर हुआ था। छह भाइयों में वे सबसे छोटे हैं। 1992 में सिमरी से मैट्रिक एवं 1997 में बीएसएसवी कालेज सिमरी से स्नातक हैं। इनकी शादी वर्ष 2007 में हुई। आज एक बेटी और बेटे के पिता हैं। इनकी पहचान कम बोलने वाले शालीन पत्रकार की है। जीवन की गाड़ी चलाने के लिए कृषि कार्य में भी समय देते हैं।

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