एगो खूंखार दुसरका लाचार बा हो … !

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बक्सर खबर , माउथ मीडिया ।  कुछ निजी व्यस्तताओं के कारण बतकुच्चन गुरु से पिछले कई दिनों से मुलाकात नहीं हो रही थी। गुरुवार की शाम मैंने उनको याद किया और मुलाकात हो गई। मुझे देखते बोले कहां रहत हउअ गुरु। हम तोहके पिछले सप्ताह भी खोजे रहे। मैंने बताया आजकल पिता जी का स्वास्थ्य ठिक नहीं है। इस वजह से समय थोड़ा कम मिल रहा है। मेरा पुरसहाल जान वे शुरू हो गए जिले की आबो-हवा पे। जानत हउअ… अपने जिले में एक अफसर अइसन आवा रहा। जवने के डरे सब अधिकारी परेशान हउएं। आम लोगन से बातचीत में उ मिला आम मनई जइसन बोलबचन रखे है। लेकिन अधिकारियन बदे उ बहुत कड़क है गुरू।

हम अपने कुछ काम बदे बड़का आफिस गए रहे। उहां पता चला रहा सब अफसरवन बहुत परेशान हैं। जेकर देखा ओकर लोला लटका रहा। हम एक मनई से पूछे कवनो गड़बड़ है का हो यहां। उ बताया रहा न भाई, सब परेशान हैं। अब तोहके का बतावे उके खिलाफ कवनो बोल भी ना सकतन। हम तो छोट मुलाजिम हैं। बड़े-बड़े जने परेशान हैं। कई मिला तो यहां से बदली करावे के चक्कर में हैं। मीडिया वाले अगर कवनों खबर छाप दिया रहे। तब त और मुसीबत समझा। एतना खूंखार हइस की सरवा कवनो जने छुट्टी मांग न जइतन ओकरे लगे। मैंने जिज्ञासा प्रकट की, कौन है भई एतना खूंखार। मेरे इतना कहते ही वे बोले जनपद के किश्मत खराब हौ गुरू। एगो अफसर अच्छा आवा रहा तो दूसरा लाचार है। ओकरा जइसे कवनो सुनता ही नहीं है। चारो तरफ लूट मचा है। जहां देखिए सड़क से लेकर गांव तक वसूली हो रही है। यह कह कर वे थोड़ी देर के लिए रुक गए। मैंने पहली बार बातचीत के दौरान उनको इस तरह सोचते हुए देखा। मुझे आश्चर्य हुआ यह कैसे हो गया। आज तक तो कभी बोलते वक्त रुके नहीं।

इतने में वे मेरी तरफ मुखातिब होते हुए बोले। गुरु हम तोसे एक सवाल पूछे? मैंने इशारे से हां कहा। तपाक बोले गरवमेंट के दाना-पानी में कवनो दोष है का। जौन मिला के सरकारी नौकरिया लगती है। ओकर ईमानदारी कहां चली जाती है। देश को बर्बाद करने में इन सभी का बहुत बड़ा हाथ हौ। जनता हो या अफसर सब ससुर गरियावत हैं नेतवन के। खुद मौका मिला ना ही लगते हैं लुटने। उनकी बात मुझे सही जान पड़ी। इजाजत ले मैं दफ्तर की तरफ लौटा। लेकिन यह प्रश्न बार-बार मेरे जेहन में उठ रहा था। क्या जिम्मेवार लोग ही भ्रष्टाचार की मुख्य जड़ हैं। अगर नहीं तो लूट और भ्रष्टाचार पर अंकुश क्यूं नहीं लग रहा। जबकि नियमों के अनुपालन के लिए ही तो इतनी बड़ी संख्या में विभागीय अधिकारी और कर्मचारी तैनात हैं। फिर लगातार भ्रष्टाचार विकराल रुप क्यों लेता जा रहा है? … क्या आप पाठकों के पास है इसका जवाब …

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