बाबु समझो इशारा, रोड नहीं तो वोट नहीं

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बक्सर खबर। भारत के चांद और मंगल पर पहुंचने के बाद भले ही गांव के लोगों ने ताली बजाकर खुशियां जताई होगी, लेकिन आजादी के 71 साल गुजर जाने के बाद भी उनके गांव को एक सड़क तक नहीं मिली है। यह अलग बात है कि यहां के लोगों ने अपने लिए वाहन तक खरीद रखें हैं। एक सड़क न होने से वे कितने पीछे हो सकते हैं, यह बात उन्हें सड़क से जुड़े गांवों को देखकर समझ में आने लगी है। अब ग्रामीणों ने ठान लिया है कि नेताओं और उनके समर्थकों को गांव में तब तक नहीं घुसने देंगे जब तक कि सड़क नहीं बन जाती। इसके लिए उन्होंने सरकारी योजनाओं के लिए लगाए जाने वाले बोर्ड की तरह ही गांव के बाहर बकायदा रोड नहीं तो वोट नहीं का बोर्ड लगा रखा है।

मामला ब्रह्मपुर प्रखंड में एकराशी पंचायत के पहाड़ चक गांव का है। गांव के बाहर प्रवेश सड़क पर बड़ा सा बोर्ड लगा दिया है, जिसमें बड़े-बड़े शब्दों में लिखा है कि रोड नही तो वोट नहीं। रोड बनवाकर ही गांव में प्रवेश करें। ग्रामीणों का कहना था कि गांव की अस्सी फीसदी आबादी ब्राह्मणों की अबादी है। शेष में यादव, पासवान और अन्य विरादरी के लोग रहते हैं। ब्राह्मण वर्ग के लोगों का कहना है कि अगर उनके गांव में दलितों आबादी अधिक होती तो सड़क ही नहीं तमाम सुविधाएं कब की मिल चुकी होतीं। आक्रोशित लोगों का यह भी कहना है कि ब्राह्मण होने के कारण उनकी उपेक्षा की जा रही है।
पंचायत की मुखिया फुलकुमारी देवी का कहना है कि पहाड़ी चक ही नहीं शुक्रपुरा, पटलपुरा में सड़क नही थी। जब वे मुखिया बनीं तो वर्ष 2017 में पहली बार सोलिंग कराकर गांव को मुख्य पथ से जोड़ा गया। पंचायत के फंड में उतना पैसा नही होता है कि ढ़ाई किलोमीटर तक सड़क बनाई जा सके। प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री सड़क योजना के जरिये ही यह संभव है। पंचायत से निराश होकर ग्रामीणों ने नेताओं पर आक्रोश जताते हुए गांव सड़क बनने तक उनके प्रवेश पर प्रतिबंध की घोषणा कर रखी है। आक्रोश जताने वालों में दीपक पाण्डेय, अतुल, प्रेम पाण्डेय, मोनू पाण्डेय, नितेश पाण्डेय, अरविंद पाण्डेय, अतुल पाण्डेय, निपू उर्फ पवन पाण्डेय, प्रकाश पाण्डेय आदि शामिल रहे।

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