सोशल मीडिया समाज के लिए खतरा : दिलीप ओझा

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बक्सर खबर : जिले के वरिष्ठ पत्रकारों में शामिल दिलीप ओझा दैनिक जागरण टीम पटना के मजे पत्रकार हैं। अपने बीस वर्ष उन्होंने पत्रकारिता में गुजार दिए। आज वे पटना आर्थिक पेज के इंचार्ज हैं। यह मानते हैं पत्रकारिता करने वाले को लक्ष्मी के पीछे नहीं भागना चाहिए। यह संघर्ष व सच्चाई की दुनिया है। हमें भी वह दौर याद है। जब पहली बार ढ़ाई सौ रुपये प्रभात खबर के लिए काम करने के दौरान मिला। उस दिन बहुत अफसोस हुआ था। लेकिन एक हौसला था। जीवन में संघर्ष करना है रचनात्मक कार्य करने हैं। इस लिए इस रास्ते पर चलते रहे। आज उस जगह हैं, जहां अपने काम का अफसोस नहीं। आज मीडिया में भी स्कोप है। अगर आपके अंदर क्षमता है। वर्तमान दौर में कुछ नए बदलाव देखने को मिल रहे हैं। मीडिया में ऐसे लोग आ गए हैं। जो मशाला खबर बेचने की होड़ में शामिल हैं। इस क्षेत्र में सोशल मीडिया ने बहुत बड़ा दखल दिया है। हर कोई अपने को पत्रकार की तरह पेश करना चाहता है। इस चाह में गैर अधिकारिक व तथ्य से दूर की स्टोरी परोसी जा रही है। उसे आज कल वाइरल शब्द से नवाजा जा रहा है। जो समाज के लिए बहुत बड़ा खतरा बन रही है। इससे पत्रकारों को दूर रहना चाहिए। अगर झूठी खबरें और बातें समाज में सामने आती हैं। तो पत्रकार का धर्म है। उस खबर की पोल खोल दे। क्योंकि समाज में फैले भ्रम को दूर करना और उसे सही दिशा देना ही सच्चे पत्रकार व मीडिया का धर्म है। बक्सर खबर के साप्ताहिक कालम इनसे मिलिए के लिए उनसे बात की। उन्होंने अपने अनुभव को साझा करते हुए कई जानकारियां दी। जो पत्रकारों के लिए अनुकरणीय हैं। प्रस्तुत है बातचीत के कुछ और अंश।

सच को भ्रमित करने वाले पत्रकार नहीं हैं पापी : ओझा
बक्सर : पत्रकारिता एक पवित्र पेशा है। इसे हमसे पूर्व के पत्रकारों ने बहुत ही इज्जत बख्शी है। खाली पेट रहकर, धूल फांक कर उन्होंने समाज के सामने सच को रखा है। हमारी जिम्मेवारी बनती है। उस गरीमा को बनाए रखें। ऐसा नहीं किसी लोभ में अथवा दूसरे से आगे निकले की होड़ में गलत स सच्चाई से परे खबर छापे। अगर ऐसा कोई करता है तो समाज को धोखा देता हैं। यह ऐसा नुकसान हैं जो मीडिया की जमा पूंजी को दाव पर लगाने के समान है। मेरा मानना है ऐसे लोग पत्रकार नहीं महा पापी हैं। जो किसी स्वार्थ में गलत खबर छापते हैं। जो लोग बेहतर करना चाहते हैं। उन्हें हमेशा भाषा पर ध्यान देना चाहिए। हर बीट की खबर लिखने का अभ्यास करना चाहिए। अगर आप अपराध की खबर लिखते हैं। तो उसकी अलग भाषा होनी चाहिए। अगर धर्म अथवा राजनीति की खबर लिखते हैं तो उसकी शैली अलग होती है। सबकी अपनी भाषा होती है। उस पर काम करने की जरुरत है। तब पाठक आपको पसंद करेगा।

पत्रकारिता जीवन
बक्सर : दिलीप ओझा बताते हैं। स्नातक करने के उपरांत मैंने जाकिर हुसैन संस्थान से पत्रकारिता में पीजी किया। इसी दौरान हमें दो माह के अभ्यास के लिए प्रभात खबर भेजा गया। वहां ओम प्रकाश जी संपादक थे। उनके सानिध्य में हम लोगों ने कार्य किया। इसी बीच हमारी पढ़ाई पूरी हो गई। प्रभात खबर में नए संपादक यशोनाथ झा आए। उन्हें ने हमें नौकरी दे दी। इस बीच आल इंडिया रेडियो के लिए भी हमारा चयन हो गया। वहां मैं और धु्रव कुमार साथ करने लगे। वहां चार दिन का काम था। शेष दिन हम लोग प्रभात खबर में काम करते थे। पहले तो हम अनुबंध पर थे। लेकिन आगे चलकर 1800 रुपये मासिक पर काम करना प्रारंभ किया। यह वर्ष 2000 का दौर था। मैं बक्सर का था इस लिए बक्सर पेज मेरे जिम्मे था। तब बक्सर से राम एकबाल ठाकुर व डुमरांव से शशांक शेखर संवाददाता हुआ करते थे। इस बीच 2002 में जागरण से संपर्क हुआ। 2800 सौ रुपये पर हमारी नियुक्ति हुई। संपादक शैलेन्द्र जी ने दो वर्ष के अंतराल पर हमें स्थायी संवाददाता नियुक्त कर दिया। तब अच्छी पगार मिलने लगी। आर्थिक जरूरतों का तनाव कम हो गया। आज भी मैं जागरण में कार्यरत हूं। पटना एडीसन का आर्थिक पेज मेरे जिम्मे है। मुझे याद है तब मैं पत्रकारिता की पढ़ाई कर रहा था। उसी समय मैंने एक व्यंग लिखा। सामंत हैं या डायनासोर। उसे हिन्दुस्तान में जमा कर आया। वह लेख बड़े ही बेहतर प्रस्तुतिकरण के साथ छपा। मुझे पता नहीं था, कब छपा, क्योंकि उस समय मेरे घर आज अखबार आता था। मेरे साथियों ने बताया आपका लेख छपा है। वह पहला अनुभव था। जो मेरे लिए प्रेरणा बना।
व्यक्तिगत जीवन
बक्सर : दिलीप ओझा का जन्म 10 जनवरी 1965 को हुआ। पिता श्री अवधेशनंद ओझा रेलवे कर्मचारी थे। उनके साथ ही बचपन कोलकत्ता में गुजारा। उन्हीं के साथ रहते मैट्रिक की परीक्षा वहीं से उत्तीर्ण की। स्नातक करने के लिए पटना ए एन कालेज में आए। जहां मीडिया की तरफ रुख हुआ। पटना में नौकरी मिली। लेकिन अपने गांव सिमरी प्रखंड के बड़का सिंघनपुरा से लगाव आज भी बना हुआ है। नौकरी भी करते हैं और कृषि से भी लगाव रखते हैं। जिसके लिए महीने में कम से कम दो चार-बार गांव जरुर आते हैं।

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