बक्सर के बेटे को मिला, दुनिया को बचाने का सम्मान

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बक्सर खबर : आने वाले समय में दुनिया तभी बचेगी। जब पर्यावरण की रक्षा होगी। नए शोध बता रहे हैं। विश्व का तापमान दो डिग्री बढ़ा तो कुछ वर्षो में दुनिया से दस देश समाप्त हो जाएंगे। इस चुनौती को स्वीकार करने वाले कुछ लोग ऐसे हैं। जो वायु प्रदूषण पर बेहतर काम कर रहे हैं। इनमें एक शख्स हमारे बीच के हैं। पिछले वर्ष प्रदूषण नियंत्रण पर सबसे बेहतर कार्य करने वाले आई आई टी इंजीनियर मृत्युंजय चौबे को इस कार्य के लिए सीएसओ इयर एवार्ड से सम्मानित किया गया है। देश की कई कंपनियों में काम कर चुके श्री चौबे अपने जिले के राजपुर प्रखंड अंतर्गत खिरी गांव के निवासी हैं। देश की राजधानी दिल्ली में पांच एवं छह मई को हुए राष्ट्रीय सेमिनार में उन्हें यह पुरस्कार छह मई को प्रदान किया गया। प्रदूषण नियंत्रण पर काम करने वाले चौबे ने बताया उन्होंने सीओ टू उत्सर्जन करने वाले संयंत्रों से निकलने वाली ग्रीन हाउस गैसों के नियंत्रण करने के तरीकों पर काम किया। जिसके लिए उन्हें यह सम्मान एयर क्वालिटी कंट्रोल मानिटरिंग संस्था ने प्रदान किया है। उनके प्रयोग को सभी ने सराहा। जो कार्य उन्होंने किया है। उसे कोई सरकार अथवा देश दस मिलियन वृक्ष लगाकर नियंत्रित करता। जो कार्य एक अकेले ने अपनी प्रतिभा से कर दिखाया।

किस तरह कम होगी बढ़ती गर्मी
बक्सर : हमने उनसे जाना चाहा। किस तरह बढ़ती गर्मी को नियंत्रित किया जा सकता है? डा. चौबे ने बताया बड़े संयत्र, औद्योगिक इकाइयों से तीन तरह के प्रदूषण फैलते हैं। जैसे ग्रीन हाउस गैस, वेस्ट वाटर तथा सालिड वेस्ट (कचरा)। इन तीनों को कम किया जा सकता है। कंपनियां अगर कम उर्जा के स्त्रोत का उपयोग करें, तो गर्म गैस अथवा कार्बन डाई आक्साइड का प्रभाव कम होगा। गंदे पानी को जल में न छोड़ा जाए। उसे बहाने से पहले शुद्ध किया जाए। तथा निकलने वाले कचरे का निपटरा सही तरीके से होगा। तो हम पर्यावरण को बचा सकते हैं। आम आदमी पर्यावरण के लिए क्या करे? हमारे इस प्रश्न पर डा. चौबे ने कहा जरुरी नहीं दूर नौकरी करने वाला व्यक्ति पेड़ लगा पाए। लेकिन वह चाहे तो एनर्जी कंजप्सन कम कर प्रकृति की मदद कर सकते हैं। जैसे- उर्जा की बचत, पेट्रोल, डीजल, कोयला अथवा अन्य एनर्जी का उपयोग कम करके। यह सभी तरीके गर्मी बढ़ाते हैं, पर्यावरण को नुकसान पहुंचाते हैं। हम ऐसे ही तरीकों को समझाते हैं, जिससे बढ़ती गर्मी व वायु को प्रदूषित होने से बचाया जा सके। चौबे ने बताया वर्ष 015 में पेरिस समझौता हुआ। जो वर्ष 016 में कानून बन गया। अपने प्रधानमंत्री जी ने भी इसमें हिस्सा लिया। हमारे देश ने 35 प्रतिशत सीओ टू (कार्बन डाठ आक्साइड) उत्सर्जन कम करने का लक्ष्य रखा है। हम सभी को इस दिशा में काम करना चाहिए।

सेमिनार में शामिल लोग

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