पत्रकार जिसकी रगों में बसा है कलाकार : राजू

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बक्सर खबर : आज हमारे साथ हैं डुमरांव के होनहार व संवेदनशील पत्रकार शैलेन्द्र कुमार श्रीवास्तव उर्फ राजू। यह जितने अच्छे पत्रकार हैं उससे कहीं ज्यादा अच्छे कलाकार। इनके अधरों से जैसे प्यार टपकता है। साथी इन्हें प्यार से मुस्कुराता पत्रकार भी कहते हैं। हर समय हंसते हुए मिलने वाले राजू की एक खास पहचान है। यह इतना अच्छा माउथ आर्गन बजाते हैं। जिससे सुनने वाले मंत्रमुग्ध हो जाते हैं। इनके अंदर का कलाकार लेखनी में भी दिखता है। शैलेन्द्र जब भी लिखते हैं। इनकी स्टोरी मानवीय मूल्यों एवं सकारात्मक सोच लिए होती है। हालाकि यह हिंदी समाचार पत्रों के लिए नहीं अंग्रेजी के लिए लिखते हैं।

हिन्दुस्तान टाइम्स के संवाददाता के रुप में इन्होंने लिखना शुरु किया था। जीवन की गाड़ी चलाने के लिए वे शिक्षण का कार्य भी करते हैं। सफल पत्रकार बनने के लिए क्या करना चाहिए? हमारे प्रश्न पर वे ठहाका लगाते हुए बोले। पत्रकार को अपने अंदर संगीत के प्रति रुचि पैदा करनी चाहिए। इससे यह होता है कि आप कभी अवसाद की तरफ नहीं जाते। हमेसा प्यार और मानवता के लिए आप लिखते और सोचते हैं। आज समाज, देश और दुनिया को इसी संदेश की जरुरत है। उन खबरों को ज्यादा तरजीह न दें। जो समाज में नफरत फैलाती हैं। उनको प्राथमिकता दें जो सीख देती हैं। आपसी भाइचारे को बढ़ाती हैं। ऐसे सोच रखने वाले राजू के साथ अपने साप्ताहिक कालम इनसे मिलिए के लिए लंबी बातचीत की। प्रस्तुत है उसके कुछ और अंश

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नोबेल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी से मिली सीख
बक्सर : राजू उन पत्रकारों में शामिल हैं। जिन्होंने देश के जाने-माने समाज सेवी व बाल दासता पर काम करने वाले नोबेल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी के साथ काम कर चुके हैं। उनसे प्रेरित हो दक्षिण एशिआई बाल दासता निरोधी संगठन के संयोजक के रुप में उन्होंने काम किया है। समाज में कैसे शांति स्थापित हो। इसके लिए उन्होंने कई कार्य किए हैं। पत्रकारिता के यादगार पल के बारे में पूछे गए सवाल पर उन्होंने कहा मेरे लिए वह पल सबसे यादगार है। गंगा कटाव पर 2010 में मेरी स्टोरी टेलिग्राफ में छपी थी। जिससे पढ़कर अमेरिका से डेन मौरीशन ने संपर्क किया। वे नदियों पर शोध प्रकाशित कर रहे थे। वे बक्सर आए, मेरे साथ उन्होंने गंगा के कटाव को देखा, नैनीजोर तक गए। उन्होंने तत्कालीन रमण यादव से भी मुलाकात की। उनसे भी बहुत कुछ सीखने को मिला।

स्कूल में पढाते राजू

पत्रकारिता जीवन
बक्सर : वर्ष 2004 में शैलेन्द्र उर्फ राजू ने हिन्दुस्तान टाइम्स पटना से अपने पत्रकारिता जीवन की शुरुआत की। उन्हें बक्सर का संवाददाता बनाया गया। लगभग छह वर्षो तक उन्होने इस मीडिया हाउस में काम किया। कुछ समय के लिए आगरा गए। 2010 के अंत में इनका रिश्ता टाइम्स से टूटा तो टेलीग्राफ के लिए काम शुरु किया। जो सफर 2015 तक चला। फिलहाल मौर्निंग इंडिया के लिए काम कर रहे हैं। इस बीच इन्होंने एक नावेल भी लिखा है। राजू बताते हैं मेरे बड़े भाई मुरली श्रीवास्तव इलेक्ट्रानिक मीडिया के लिए काम करते हैं। उनकी कुछ पुस्तके आई हैं। जिनमें उस्ताद बिसमिल्लाह खां की बायोग्राफी शामिल है। उनसे प्रेरित होकर मैने काम किया है।
व्यक्तिगत जीवन
बक्सर : शैलेन्द्र कुमार श्रीवास्तव उर्फ राजू का जन्म 2 जनवरी 1980 को डुमरांव में हुआ। पिता शशिभूषण श्रीवास्तव की छट्ठी संतान हैं। प्रारंभिक शिक्षा से लेकर स्नातक तक का सफर डुमरांव में ही हुआ। वर्ष 2000 में स्नातक की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद बच्चों को अंग्रेजी की ट्यूशन पढ़ाने लगे। जीवन के इस सफर में शादी हो गई। दो बच्चे भी हो गए। राजू मुस्कुराना तो नहीं छूटा। जिम्मेवारी के बोझ में डीएवी स्कूल में बच्चों को पढ़ाने लगे। पत्रकारिता के साथ तीन वर्ष यह कार्य भी किया। फिलहाल व्यक्तित्व विकास एवं अन्य मुद्दों पर बतौर गेस्ट टीचर कृषि कालेज में पढ़ाते हैं। इसके अलावा खुद की कोचिंग चलाते हैं। जिससे जिससे जीवन की गाड़ी चलती रहे। आज घर में दो प्यारे बच्चों के साथ इनका जीवन कट रहा है। (मेरी सोच- राजू मेरे साथ काम करने वाले पत्रकारों में एक हैं। इनसे मैंने यही सीखा है जिससे भी मिलो हंस के मिला, जीना इसी का नाम है, अविनाश )

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