पंचायत के धुरंधर: पहले पिता अब बेटा है मुखिया

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बक्सर खबर : पंचायत चुनाव में वैसे तो कुर्सी पर किसी एक का कब्जा नहीं रह पाता। इसकी वजह यह है कि आरक्षण रोस्टर हर बाद बदलता रहता है। बावजूद इसके कुछ पंचायतें ऐसी हैं। जो इस खेल से वंचित रह जाती हैं। पंचायत चुनाव के धुरंधर की हमारी इस कड़ी में इस बार शामिल है नंदन पंचायत। डुमरांव प्रखंड के अंतर्गत आने वाली पंचायत में कुल पांच गांव शामिल हैं। आजादी के बाद जब चुनाव हुआ तो यहां दिवाकर पाठक मुखिया बने। 1974 से 2001 तक यह तगमा उनके नाम रहा। वर्ष 2001 पंचायत चुनाव हुआ तो उनके पुत्र राजीव कुमार पाठक चुनाव नहीं लड़े। परिवार के अन्य सदस्य इसके लिए राजी नहीं हुए। इसके बाद 2006 के चुनाव में राजीव उर्फ बबलु पाठक ने नामांकन किया। उनकी उम्र उस समय महज 24 साल थी। पिछले दस साल से वे मुखिया हैं। इस बार भी उन्होंने नामांकन किया है। उनका कहना है कि आजादी के बाद मेरी पंचायत में किसी विधायक सांसद ने कोई काम नहीं कराया। सिर्फ सांसद लालमुनी चौबे ने दो स्कूलों के निर्माण के लिए राशि दी थी। इसके अलावा जो भी काम हुआ है। वह पंचायत के सहयोग से हुआ है। जनता का यह विश्वास ही हमारी पूंजी है। इस बार भी सबका सहयोग रहा तो हमें सफलता जरुर मिलेगी। बबलु पाठक की किश्मत उनका साथ दे या न दे। पर उनके पिता दिवाकर पाठक का व्यक्तित्व आज भी उनके काम आ रहा है।

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