इसे कहते है दिवाली, फिर दिखे मिट्टी के खिलौने

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बक्सर खबर : दिवाली की पूर्व संध्या पर शहर में काफी चहल-पहल दिखी। भीड़ में बहुत दिनों बाद मिट्टी के पारंपरिक खिलौने भी दिखे। दुकान पर छोटी मुनिया खिलौने बेच रही थी। पांच रुपये में हाथी ले लो ,चाहे ले लो घोड़ा। महिला और सिपाही के प्रतिरुप वाले खिलौने महज दस रुपये में। उनके चेहरे पर मुस्कान भी थी और सादगी भी। गुजरने वाले रुक-रुक कर खिलौने खरीद रहे थे। इसे चाइना का विरोध कहें या अपने लोगों की जागरुकता। कृत्रिम खिलौनों की जगह मिट्टी के खिलौने की दुकान पर अच्छी संख्या में ग्राहक आ रहे थे। स्थानीय लोगों के रुझान के कारण बच्चे बहुत खुश थे। इस बार उनकी दिवाली भी अच्छी कटेगी। शायद लोग भी समझने लगे हैं। मिट्टी के खिलौने खराब भी होगे तो पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचेगा। प्लास्टिक व इलेक्ट्रानिक वाले तो घर और समाज दोनों को गंदा कर रहे हैं।

भगवान लक्ष्मी-गणेश की मूर्ति खरीदते लोग
भगवान लक्ष्मी-गणेश की मूर्ति खरीदते लोग

बाजार में मूर्तियों की जमकर हुयी खरीद

बक्सर – शहर की चहल-पहल के बीच भगवान गणेश व माता लक्ष्मी की मूर्ति खरीदेने वाले भी घरों से निकल भीड में शामिल हो गए थे। मिठाई की दुकान से सबसे अधिक लडडू खरीदा गया। कोई रुई खरीद रहा था तो कहीं पटाखे की दुकान पर भीड थी। चारों तरफ दिवाली दिख रही थी। त्योहार हो तो ऐसा, घर की गंदगी साफ, हर तरफ उजाला।

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